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बीजेपी में फूट से बदल जाएगा समीकरण, जेल से सियासत का रूख मोड़ने का हुनर रखते हैं लालू यादव

बिहार: लालू प्रसाद के जेल जाने से भले ही ये सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अब लालू का राज पाठ खत्म हो जाएगा? लेकिन यहां हम आपको एक बात बता दें कि हमारे इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद आप भी यही कहेंगे कि वाकई लालू यादव राजनीति के वो माहिर खिलाड़ी है, जो जेल से ही सियासत का रूख मोड़ने हुनर रखते हैं। तो आइये जानते हैं कि हमारे इस रिपोर्ट में खास क्या है?

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव राजनीति में बहुत ही ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बिहार की राजनीति का समीकरण देखने से ही साफ पता चल जाता है। जी हां, तेजस्वी ने राज्यपाल से मिलकर बिहार की नीतीश सरकार पर जमकर सवाल खड़े किये हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्या है, ये तो हर कोई करता है? दरअसल, लालू यादव भले ही जेल में हो लेकिन तेजस्वी को वहीं समय समय पर रास्ता दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से बिहार की राजनीति में धीरे धीरे ही बदलाव देखने को मिल रहा है।

बता दें कि जिस महादलित समुदाय को नीतीश कुमार का वोट बैंक माना जाता था, उस पर तेजस्वी यादव की नजर है। जी हां, बिहार में दलितों की आबादी लगभग 16 फीसदी है, जिसमें से चार फीसदी पासवान जाति पर रामविलास पासवान की पकड़ है, इसके अलावा नीतीश कुमार की पकड़ है, लेकिन हाल ही में दलितों ने नीतीश के काफिले पर हमला किया, जिसके बाद से ही बिहार की राजनीति की हवा का रूख बदल गया है।

हवा का रूख तब बदला बदला लगा जब रांची कोर्च में जीतन राम मांझी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने लालू यादव से मुलाकात के दौरान उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे यह लग रहा है कि मांझी नीतीश सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। ऐसे में दोनों की मुलाकात के बाद यह चर्चा होने लगी कि क्या बिहार में बीजेपी बिखरने वाली है? यह चर्चा तब तेज हो गई जब तेजस्वी ने एक बयान में कहा कि सहयोगी दल बीजेपी से नाराज चल रही है, ऐसे में बिखराव होने वाला है।

दरअसल, मांझी एनडीए से नाखुश है, इसके पीछे की वजह यह है कि मांझी को गर्वनर बनने के साथ ही नीतीश सरकार में उनका बेटा मंत्री बने लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद मांझी बगावत के रास्ते पर आ गये। इतना ही नहीं, नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद मांझी का कद छोटा हो गया है। ऐसे में  शायद लालू यादव के साथ जाने में ही मांझी का भविष्य़ उज्जवल है। खबरों की माने तो लालू जीतन को राज्यसभा भेज सकते हैं, इतना ही नहीं लोकसभा के सीट बंटवारे में बीजेपी की तुलना में ज्यादा सीट दे सकते हैं, ऐसे में लालू यादव को मुस्लिम, यादव और मांझी समीकरण मिल सकता है, जिसके बाद बिहार की राजनीति का रूख बदल सकता है।

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