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बाप करता था पेट्रोल पम्प पर काम अब बेटा बना पेट्रोलियम कंपनी में अफसर, सालाना पैकेज जानकर उड़ जायेंगे होश

सही कहते हैं कि इंसान के हाथ में ही होता है कि वह अपनी किस्मत बदलना चाहता है या नहीं। खुद पर विश्वास और कड़ी मेहनत के बल पर आज के समय में कुछ भी हासिल किया जा सकता है। जो लोग समय की मार से हार जाते हैं वह पीछे रह जाते हैं। जबकि जो लोग समय के थपेड़ों को सहते हुए भी बिना डरे और रुके आगे बढ़ते रहते हैं, इतिहास वही लोग लिखते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही दृढनिश्चयी लड़के के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसनें समय से लड़ते हुए खुद को साबित किया।

ग्वालियर के रहने वाले मनोहर मंडेलिया पिछले 18 सालों से एक पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल और डीजल भरने का काम करते आ रहे हैं। लेकिन उन्होंने अपने बेटे की पढाई में कोई कमी नहीं होने दी। उन्होंने बेटे मोहित को इस तरह से पाला और ऐसी शिक्षा दी कि IIM शिलांग में हुआ। आज वही बेटा एक पेट्रोलियम कंपनी में अफसर है। बेटे का सिलेक्शन 21.4 लाख के सलाना पैकेज पर हुआ है। मोहित ने बताया कि उनके पिता अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से बीकॉम के बाद पेट्रोल पम्प पर नौकरी करने लगे।

जब यहाँ एक बार लग गए तो फिर कुछ और सोच ही नहीं पाए। जब मेरी बारी आई तो पिता ने सोचा कि कुछ भी हो जाये बेटे को तो खूब पढ़ाऊंगा और अफसर बनाऊंगा। पापा की संघर्षमाय जिंदगी देखकर मैंने पुरे लगन से पढ़ाई की। स्कूल से लेकर आईआईएम तक पूरी स्कॉलरशिप मिली।

अब शिलाँग कैम्पस से ही सिलेक्शन एक पेट्रोलियम कंपनी में बतौर सेल्स ऑफिसर के लिए हो गया है। मोहित ने बताया कि उनका प्लेसमेंट धनतेरस के शुभ दिन हुआ था।

राममनोहर ने बताया कि जो वह जीवन में करना चाहते थे, उनके बेटे ने कर दिखाया। मोहित मुझसे हमेशा यही कहता था कि आप मेरे लिए इतना सब सोचते हैं, मैं आपको कभी निराश नहीं होने दूंगा। मोहित ने पापा से कहा कि आप वादा करो कि जिस दिन मैं जॉइनिंग करूँगा आप नौकरी छोड़ देंगे। मोहित ने बीएससी बायोटेक से किया था। फर्स्ट सेमेस्टर में उसे गोल्ड मेडल मिला था। इसके बाद उसे 100 प्रतिशत वाईस चांसलर स्कॉलरशिप मिली थी। ग्रेजुएशन के बाद उसका चयन मंडी अफसर और रेलवे में भी हुआ था। मोहित चाहता था कि वह अपने पिता की आर्थिक मदद करे। लेकिन राममनोहर चाहते थे कि बेटा ऑफिसर ही बने।

बाद में राममनोहर ने बेटे को खूब समझाया उसके बाद मोहित ने तयारी करने का निर्णय लिया। रिश्तेदारों से कर्ज लेकर कोचिंग की मोटी फीस चुकाई गयी। मोहित के स्कूल की ओल्ड बॉयज एसोसिएशन ने भी कोचिंग की फीस में मदद की। 2015 में मोहित का एडमिशन शिलाँग आईआईएम में हुआ, जहाँ 2 की फीस 15 लाख रोये थी। मेधावी होने की वजह से 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप मिली। मोहित को पेट्रोलियम कंपनी के मुंबई ऑफिस में 21.4 लाख के सलाना पैकेज पर सेल्स ऑफिसर के पोस्ट पर नौकरी ज्वाइन करना है। आखिर बाप और बेटे दोनों की लगन ने कमाल कर ही दिया।

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