अध्यात्म

जानिये कैसे मिली थी शिव जी को तीसरी आँख

सर्वप्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश के पिता भगवान शिव जी के कई नाम हैं. पुरानी कथाओं में शिव जी के इन नामों के बारे में बताया गया है जिनमें ‘महादेव’ सबसे प्रसिद्ध है.  महादेव को ‘देवों का देव’ माना जाता है जिनकी पूजा केवल मानव ही नहीं दानव भी करते हैं. महादेव के बारे में सबसे विचित्र बात है उनके माथे पर स्थित उनकी ‘तीसरी आँख’ ( Third Eye) क्या ये भगवान शिव का कोई चमत्कार है. आज हम आपके लिए इस राज से पर्दा उठाएंगे.

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 शिव की तीसरी आँख (Third Eye) शिव जी का कोई अतिरिक्त अंग नहीं है

दरअसल बात यह है कि भगवान शिव की तीसरी आँख शिव जी का कोई अतिरिक्त अंग नहीं है बल्कि ये एक दिव्य दृष्टि का प्रतीक है.  ये दृष्टि आत्मज्ञान के लिए बेहद ज़रूरी बताई जाती है. शिव जी के पास ऐसी दिव्य दृष्टि का होना कोई अचरज की बात नहीं है.  महादेव की छवि उनकी तीसरी आँख को और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाती है.

सबसे पौराणिक वेद ऋग्वेद में जीवन का सार बताया गया है. वेदों में कहा गया है कि ब्रह्म ही परम चेतना है,  यही अथर्वेद भी कहता है कि आत्मा ही ब्रह्म है.  हमारे पौराणिक कथाओं में हर हर महादेव का अर्थ भी बताया गया है. ‘हर-हर महादेव’ का अर्थ है हर किसी में महादेव अर्थात शिव हैं. इसका दूसरा अर्थ है कि महादेव शिव सभी के दोष हर लेते हैं और सबको पवित्र व दोष-रहित कर देते हैं.

शिव की तीसरी आंख के संदर्भ में जिस एक कथा का सर्वाधिक जिक्र होता है वह है कामदेव को शिव द्वारा अपनी तीसरी आँख से भष्म कर देने की कथा. कामदेव यानी प्रणय के देवता ने पापवृत्ति द्वारा भगवान शिव को लुभाने और प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था.  शिव ने अपनी तीसरी आँख खोली और उससे निकली दिव्य अग्नी से कामदेव जल कर भष्म हो गया. सच्चाई यह है कि यह कथा प्रतिकात्मक है जो यह दर्शाती है कि कामदेव हर मनुष्य के भीतर वास करता है पर यदि मनुष्य का विवेक और प्रज्ञा जागृत हो तो वह अपने भीतर उठ रहे अवांछित काम के उत्तेजना को रोक सकता है और उसे नष्ट कर सकता है.

 

 

 

 

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