अध्यात्म

आखिर चिकन पॉक्स’ को भारत में माता क्यों कहा जाता है, जानिए इसकी सही वजह

भारत आस्था का देश है, जहां हर बात को लोग धर्म से जोड़ कर देखते हैं यहां तक कि कई रोग और बीमारियों को भी लेकर यहां कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं जैसे कि चिकन पॉक्स को भारत में माता की ओर से मिली सजा माना जाता है। यही नहीं इससे पीड़ित व्यक्ति को किसी तरह की दवाइयां देना वर्जित माना जाता है और इसके उपचार के रूप में सिर्फ नीम की पत्तियां और डालियां ही इस्तेमाल की जाती हैं और इन्हें मरीज़ के सिरहाने रखकर इस बीमारी के ठीक होने का इंतज़ार किया जाता है। दअसल भारत में चिकन पॉक्स से एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है और आज हम आपको उसी मान्यता के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से इसे माता कहा जाता है।

मैडिकल साइंस में चिकन पॉक्स खसरा से फैलने वाली एक बीमारी है जो कि सीधे ‘हाइजीन’ से जुड़ी हुई माना जाती है। पर वहीं भारत में इसे माता शीतला से जोड़कर देखा जाता है जो की मां दुर्गा का रूप माना जाती हैं । इनके बारे में मान्यता है कि इनके एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथ में पवित्र जल का एक पात्र होता है और एक तरफ व्यक्ति से नाराज होकर मां झाड़ू से रोग देती है और वहीं उचित पूजा और सफाई होने पर पवित्र जल से बीमारी को हर लेती हैं। ऐसे में मान्यता चली रही है कि अगर कोई व्यक्ति चेचक या किसी तरह के फोड़े-फूंसी और दूसरे घाव से पाड़ित है तो उसे शीतला मां की पूजा करनी चाहिए.. उससे शीतला माता प्रसन्न हो जाती हैं और मरीज के शरीर को ठंडक पहुंचती है जिससे की उसे रोग से मुक्ति मिलती है । यही वजह है कि इसलिए इस रोग को माता कहा जाता है।

दरअसल, इसके पीछे एक व्यवहारिक कारण भी है वो ये कि 90 के दशक तक चिकन पॉक्स के इंजेक्शन नहीं मौजूद थे पर उस समय इसका प्रकोप बहुत ज्यादा था हर दूसरा व्यक्ति इससे पीड़ित था। ऐसे में इससे बचने के लिए विद्वानो ने लोगो को कुछ घरेलू उपाय सुझाए खासकर साफ-सफाई पर विशेश ध्यान देने को कहा.. चूकि हमारे यहां लोग किसी भी बात को तभी मानते हैं जब वो धर्म से जुड़ा हो ऐसे में चिकन पॉक्स के प्रकोप के कारण और उससे निजात पाने के लिए उचित साफ-सफाई बरतने के लिए इसे देवी मां से जोड़ दिया गया । माना गया कि जिन लोगो से देवी नाराज होती हैं उन्हे माता निकल आती है और ऐसे में इससे निजात पाने के लिए लोग उनकी पूजा और साफ-सफाई पर ध्यान देने लगे। इस तरह ये मान्यता प्रचलित हो गई।

वैसे आज तो चिकन पॉक्स के इंजेक्शन बच्चों को बचपन में ही लगा दिए जाते हैं पर वास्तव में चिकन पॉक्स होने के बाद इस पर किसी तरह की दवाई असर नही करती है, इसलिए इसमें सिर्फ आराम के लिए कुछ एंटी वायरल दवाइयां ही दी जाती हैं… इसके साथ ही साफ-सफाई की दृष्टि से नीम की पत्तियों को घर में और रोगी के पास रखा जाता है, क्योंकि नीम एंटीवायरस का काम करती है।

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