अध्यात्म

शिव जी की पूजा करते समय न करें ये गलती, वर्ना पूजा का हो जाएगा उल्टा असर

शिव शब्द का अर्थ है शून्य, और पूरा ब्रह्मांड स्वयं शून्य से निकला है। सब शून्य से निकला और फिर लौटकर शून्य में समा गया।  यही जीवन का सत्य है। जिसको वैज्ञानिक भी मानते हैं, और बिग बैंग सिद्धांत कहते हैं। भारत में कैलाश पर्वत जहां शिव का वास है। वहां आजतक कोई जा नहीं पाया, क्योंकि वहां ही अंत है और आरंभ भी। ऐसे में देश शिव के चाहने वाले बहुत है। साल में सावन के महीने में शिव की पूजा होती है। ऐसे में लेकिन क्या हम शिव को प्रसन्न करते हैं,  क्या घर में शिवलिंग स्थापित करने का सही तरीका अपनाते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं क्योंकि कई बार लोग अज्ञानता के चलते गलती कर जाते हैं।

शास्त्रों में शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। शिवलिंग पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए शास्त्रों में शिवलिंग पूजा पर जोर दिया गया है। कहा जाता है शिवलिंग की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे अनिष्ट होने से बचा जा सकता है।

शिवलिंग को कभी भी ऐसे स्थान पर स्थापित नहीं करना चाहिए जहां आप उसकी पूजा ना कर सकें। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि आप शिवलिंग की पूजा पूरे विधि-विधान से न कर पा रहे हों तो भूल से भी शिवलिंग को घर पर न रखें।

शिव पुराण में जालंधर नाम के दैत्य को यह वरदान था की उसे युद्ध में कोई नहीं हरा सकतां। क्योंकि उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता थी । उस दैत्य के अत्याचारों से सृष्टि को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता होने का संकल्प भंग किया तथा महादेव ने जलंधर का वध। इसके बाद वृंदा तुलसी में परिवर्तित हो चुकी थीं तथा उसने अपने पत्तियों का महादेव की पूजा में प्रयोग होने पर प्रतिबंध लगा दिया। यही कारण है की शिवलिंग की पूजा पर कभी तुलसी के पत्तियों का प्रयोग नहीं किया जाता।

शंख भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करते समय अवश्य प्रयोग किया जाना चाहिए,लेकिन कभी भी शंख से शिवलिंग का अभिषेक नहीं करनी चाहिए। दरअसल इसके पीछे एक कथा है भगवान शंकर ने शंखचूण नाम के राक्षस का वध किया था इसलिए शिवजी की पूजा करते समय शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिेए।

हल्दी का प्रयोग स्त्रियां अपनी सुंदरता निखारने के लिए करती हैं तथा शिवलिंग महादेव शिव का प्रतीक है. इसलिए हल्दी का प्रयोग शिवलिंग की पूजा करते समय नहीं करनी चाहिए.

कुमकुम का उपयोग नहीं करना चाहिए, हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कुमकुम का प्रयोग एक हिन्दू महिला अपने पति के लम्बी आयु के लिए करती हैं जबकि भगवान शिव विध्वंसक की भूमिका निभाते हैं। संहारकर्ता शिव की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

शिवलिंग का स्थान बदलते समय कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। शिवलिंग का स्थान बदलते समय उसके चरणों को स्पर्श करें तथा एक बर्तन में गंगाजल का पानी भरकर उसमें शिवलिंग रखें। फिर उसके बाद उनके स्थान का परिवर्तन करें।

शिवलिंग पर हमेशा गाय का ताजा दूध चढ़ाना चाहिए, कभी भी पैकेट का दूध ना चढ़ाएं, क्योंकि शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा दूध ठंडा और साफ होना चाहिए। जबकि प्लास्टिक की पन्नी वाला दूध शुद्ध नहीं माना जाता।

शिवलिंग को जलधारा के नीचे रखने सा शिव पसन्न होते है। यदि आपने शिवलिंग को घर पर रखा है तो ध्यान रहे की शिवलिंग के नीचे सदैव जलधारा बरकरार रहे अन्यथा वह नकरात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

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