अध्यात्म

महाशिवरात्रि: शिवभक्त अघोरियों की रहस्यमय दुनिया, जानें श्मशान में ही क्यों रहते हैं अघोरी?

1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पावन पर्व आ रहा है। वैसे तो कई लोग भगवान शिव के भक्त होते हैं, लेकिन अघोरी (Aghori) को भोलेनाथ का परम भक्त माना जाता है। भगवान शिव तंत्र-मंत्र के अधिष्ठाता कहलाते हैं। अर्थात विश्व को तंत्र-मंत्र का ज्ञान इन्हीं से मिला है।

महाशिवरात्रि के अवसर पर हम अघोरियों की दुनिया की कुछ रहस्यमयी और अनोखी बाते बताने जा रहे हैं। इनकी जीवन शैली, विधान और गतिविधियां सबकुछ बेहद निराली होती है। इनके जीवन के राज जान आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।

कौन होता है अघोरी?

अघोरी वह होता है जो घोर नहीं हो। अर्थात बेहद सरल और सहज हो। जो हर चीज को समान दृष्टि से देखें, जिसके मन में कोई भेदभाव न हो। अघोरी सड़ते जीव के मांस को भी उतने चाव से खाते हैं जितना किसी स्वादिष्ट पकवान का सेवन करते हैं। वे गाय का मांस छोड़ लगभग सभी चीजों को खा लेते हैं। इनमें मानव मल से लेकर मुर्दे का मांस तक शामिल है।

इसलिए श्मशान में करते हैं साधना

अघोरपंथ में श्मशान साधना को बहुत अहमियत दी गई है। अघोरी श्मशान में रहना अधिक पसंद करते हैं। उनका मानना है कि श्मशान में की गई साधना जल्दी सिद्ध होती है। वहीं श्मशान में साधारण इंसान बहुत कम आता है, इससे उनकी साधना में कोई विध्न भी नहीं पड़ता है।

ऐसा होता है अघोरी का स्वभाव

अघोरी बड़े हठी स्वभाव के होते हैं। वे जिस बात पर अड़ जाए उसे पूरा कर के ही दम लेते हैं। उनका गुस्सा भी बड़ा खतरनाक होता है। गुस्से में वे किसी भी हद तक चले जाते हैं। अत्यधिक गुस्सा करने से उनकी आंखें भी अक्सर लाल होती है।

हालांकि मन से वे बेहद शांत भी होते हैं। उनके मन में कोई अच्छे बुरे का भाव नहीं होता है। इसलिए उन्हें जब प्यास लगती है तो वह खुद का मूत्र भी पी लेते हैं। वे काले वस्त्रों में लिपटे रहना पसंद करते हैं। गले में धातु की बनी नरमुंड की माला पहनते हैं। वे अधिकतर अपना सिद्ध मंत्र जपते हैं।

अघोरी को आम दुनिया से कटकर अलग थलग रहना पसंद होता है। वे अपने में ही मस्त रहते हैं। ज्यादातर समय दिन में सोने और रात को श्मशान में साधना करने में बिताते हैं। वे सामान्य लोगों से न संपर्क रखते हैं और न ही अधिक बात करते हैं। उन्हें अपना समय साधना में व्यतीत करना पसंद है। वे श्मशानों में कुटिया बना रहते हैं। यहां एक एक छोटी सी धूनि जलती रहती है।

ये 3 साधनाएं करते हैं अघोरी

अघोरी सामान्यतः तीन तरह की साधनाएं शिव साधना, शव शाधना, और श्मशान साधना करते हैं। शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना होती है। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पाँव होता है।

शव साधना भी ऐसे ही होती है, लेकिन इसमें मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाया जाता है। वहीं श्मशान साधना में आम परिवारजन भी शामिल हो सकते हैं। इसमें मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा होती है। इस पर मांस-मंदिरा की जगह गंगा जल और मावा का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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