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तीन साल में पहली बार अटल बिहारी की राह पर मोदी सरकार, कश्मीर में बातचीत को तैयार

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पहली बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है। केंद्र और राज्य सरकारें जम्मू-कश्मीर के अभी मुद्दों पर मिलकर बातचीत करनें के लिए तैयार हो गयी हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा प्रतिनिधित्व करेंगे और सभी पक्षों पर बातचीत करेंगे। आज हम आपको मोदी सरकार के सत्ता में आनें के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या हुआ, उसके बारे में बतानें जा रहे हैं।

पिछले तीन सालों का माना जा रहा है सबसे ठोस कदम:

मोदी सरकार के सत्ता में आनें के बाद से ही कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियाँ बीजेपी के यह आरोप लगाती रही हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर सरकार ने कोई गंभीर पहल नहीं की है। इसलिए मोदी सरकार के इस कदम को पिछले तीन सालों का सबसे ठोस कदम माना जा रहा है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सितम्बर में कश्मीर का दौरा किया था और विभिन्न पक्षों पर बातचीत की थी। अब केंद्र सरकार ने कहा है कि केंद्र के प्रतिनिधि पर किसी तरह की कोई रोक नहीं होगी।

बुरहान वानी की मौत के बाद लगातार बिगड़ते गए हालात:

वे किसी भी पक्ष से खुलकर बातचीत कर सकते हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों की असली परेशानियों और मुद्दों को समझना चाहती है। आपको पता ही होगा कि कश्मीर में बुरहान वानी की मौत के बाद लगातार कई दिनों तक उग्र प्रदर्शन होते रहे। इस दौरान सरकार के ऊपर भी जमकर निशाना साधा गया और उसके ऊपर प्रदर्शन ना रोक पानें का आरोप भी लगा था। बीते सालों में कश्मीर के हालत कई बार हिंसात्मक हुए।

सुरक्षाबलों की सहायता से हल करना चाहती है कश्मीर की समस्या:

बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी का माहौल काफी तनावग्रस्त हो गया था। होनें वाली हिंसात्मक झड़पों में कई लोगों की जान भी गयी थी। मोदी सरकार की इसलिए भी लगातार आलोचना होती रही कि वह सुरक्षाबलों की सहायता से कश्मीर की समस्या को हल करना चाहती है। दूसरी तरफ पाकिस्तान से वार्ता रुकने की वजह से भी कश्मीर के हालत बिगड़ते चले गए। सरकार कश्मीर के अलगाववादियों से बहुत ज्यादा चिढ़ती रही है। 2013 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री सरताज अजीज का दौरा था। उससे पहले अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बासित ने डिनर पर बुला लिया। इस घटना के बाद से केंद्र सरकार और चिढ़ गयी। इसके बाद सरकार ने पाकिस्तान के साथ तुरंत बातचीत रोक दी थी।

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