बिज्ञान और तकनीक

18 सालों बाद नहीं रहेगा हमारे सिर पर ताज, सिर्फ किस्से-कहानियों में सुनाई जाएंगी इसकी बातें

नई दिल्ली – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया के ग्लेश्यिरों को सबसे बड़ा खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धी हो रही है और इसकी असर ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है। परिणामस्वरूप ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अब ग्लेशियर का पिघलना ऐसे ही जारी रहा तो 21वीं सदी के आखिर तक एशिया और 2035 तक हिमालय के ग्लेशियर गायब हो जाएंगे, यानि हमारे सिर से हिमालय का ताज खत्म हो जाएगा। आपको बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ही आर्कटिक में लाल बर्फ तेजी से बन रही है जिसके कारण वहां ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार में तेजी हो गई है। Global warming destroys Himalaya glaciers.

 ग्लोबल वार्मिंग से खत्म हो रहा है हिमालय

यह बात सामने आई है कि हमारे उच्च हिमालयी इलाके में जहां पर ग्लोबल वार्मिंग के चलते केवल बर्फ गिरा करती थी वहां अब बारिश हो रही है। यह स्थिति भयानक खतरे कि ओर इशारा कर रही है। आकड़ों के मुताबिक 1850 के आसपास औद्योगिक क्रांति के बाद से धरती एक डिग्री गर्म हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार निर्धारित तापमान में बढ़ोतरी की दो डिग्री की सीमा को 2100 तक रोक पाना संभव नहीं है।

 बस 18 साल और रहेगा हिमालय

ऐसे में उनका मानना है कि यदि ऐसा होता है तो एशिया में ग्लेशियरों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और हमें भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है। ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने को देखकर अनुमान लगाया गया है कि हिमालय अब सिर्फ 18 सालों तक ही रहेगा। दरअसल, वैज्ञानिकों के मुताबिक 21वीं सदी के अंत तक एशिया और 2035 तक हिमालय के ग्लेशियर गायब हो जाएंगे। ग्लेशियर के गायब होने का बाद हम शायद ही कभी हिमालय को बर्फ से ढका हुआ देख सकें।

 2 डिग्री तक अधिक गर्म हो जाएगी धरती

वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा ही कुछ 18 साल बाद देखने को मिल सकता है। तेजी से काटे जा रहे पेड़ों और बढ़ते प्रदूषण के कारण जल्द ही धरती के तापमान में 2 डिग्री तक वृद्धी हो जाएगी। ऐसा होते ही दुनिया के सभी ग्लेशियर पिघल जाएंगे और समुद्र का जलस्तर बढ़ जाएगा। इस स्थिती में दुनिया के कई बडे़ बड़े शहरों के समुद्र में डूबने का खतरा भी बढ़ जाएगा। ग्लेशियरों के पिघलने से केदारनाथ जैसी आपदाओं की संख्या बढ़ जाएगी।

Back to top button