स्वास्थ्य

मैगी खाने वाले हो जाएं सावधान, किडनी और ब्रेन नर्वस सिस्टम हो सकता है डैमेज

थोड़ी सी भूख लगी, दो मिनट में मैगी बना लेते हैं, आज मन नहीं है रात में बनाने का मैगी बना लेते हैं, क्या आपके साथ भी ऐसा होता है। जब आपको भूख लगती है आप तुरंत मैगी बनाकर खाने के आदि है। घर से दूर नौकरी के लिए बाहर रहने वाले अकसर ऐसा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है जिस मैगी के पीछे आप इतने दीवाने हैं, वो आपकी सेहत में कितना असर डालती है। हाल के दिनों में यूपी के  बाराबंकी शहर में इसकी जांच  में भी सामने आ चुका है कि जरूरत से ज्यादा इसमें लेड यानी शीशा है, जो आपको को बीमार नहीं बहुत बीमार कर सकते हैं। लेकिन ताजा रिसर्च के बाद इसमें जो पदार्थ पाए गए है। उससे तो और भी ज्यादा चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यानी की मैगी पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है। इसीलिए हम आज आपको बताने जा रहे हैं ऐसी बात की मैगी को आज से आप हाथ लगाने  से पहले चार बार सोचेंगे।

सभी तरह के नूडल्स में गेहूं और चावल दोनों को पीसकर बनाए जाने वाले रिफाइंड आटे का इस्तेमाल होता है। इसको खाने से ब्लड शुगर बढ़ता है और खुद को एनर्जेटिक महसूस करते हैं. लेकिन जैसे ही ब्लड शुगर गिरता है। आप कमजोर फील करते हैं। धीरे-धीरे ये प्रक्रिया आपको कमजोर और बीमार बना देती है। इससे आपको मोटापा, खाना पचाना मुश्किल हो जाता है।

मैगी जैसे सभी नूडल्स को तैयार करने के बाद पैकिंग से पहले तला जाता है, ताकि लंबे वक्त तक ये ख़राब न हों। लेकिन क्या आप जानते हैं तली हुई चीजों को ज्यादा दिन तक प्लास्टिक में बंद रखने से कितना बुरा असर पड़ता है। प्लास्टिक में बंद रहने से उसके तत्व मर जाते है, साथ थी कई दिनों बाद गर्म करने से तेल खराब हो जाता है। इसको खान से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है जो दिल के लिए बेहद नुकसानदेह हैं।

W.H.O के मुताबिक मनुष्य को एक दिन में 2000 मिलीग्राम सोडियम की जरूरत होती है। लेकिन नूडल्स में ज्यादातर कंपनियां स्वाद बढ़ाने के लिए इसकी मात्रा ज्यादा रखती है। एक जांच के मुताबिक सौ ग्राम नूडल्स में पूरे दिन के बराबर का सोडियम यानी नमक इस्तेमाल करते हैं। जो की ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पैदा करता है।

डॉक्टरों की माने तो नूडल्स ख़ासकर मैगी में पाए गए लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट  के लिए खतरनाक हैं। डॉक्टरों के मुताबिक ये किडनी का सबसे बड़ा दुश्मन है, साथ ही दिमाग का जरूरी हिस्सा नर्वस सिस्टम डैमेज होने की आशंका रहती है।

यूपी के बाराबंकी में मैगी की जांच में सामने आया था कि इसमें लेड की मात्रा अधिक है। जो की एक टॉक्सिक मेटल है और यह MSG से भी ज्यादा ख़तरनाक है। यानी लेड अगर शरीर में जरूरत से ज्यादा हो जाए तो दिमाग पर सीधा असर करता है। इसकी वजह से न्यूरोलॉजिकल परेशानी के साथ ब्रेन के नर्वस सिस्टम खराब होने के आसार बढ़ जाते हैं।

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