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आरोपों की राजनीति कहीं केजरीवाल के लिए भष्मासुर ना बन जाए!

आरोपों की राजनीति करने में केजरीवाल का हाथ कोई नहीं खींच सकता है। वह हमेशा से ही बड़े-बड़े लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं, केवल यहीं नहीं वह दुनिया को इसकी सच्चाई बताने का भी दावा करते रहे हैं। लेकिन वह लोगों पर आरोप लगाकर आगे निकल जाते हैं। अब लोगों पर आरोप लगाने वाले केजरीवाल पर खुद एक बड़ा आरोप लग चुका है। आरोप की राजनीति उनके लिए अब खतरा बन चुकी है।

केजरीवाल पर एक के बाद एक संगीन आरोप लग रहे हैं। यह आरोप कोई और नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के लोग ही उनपर लगा रहे हैं। देश के राजनीतिक ज्ञाताओं का मानना है कि आरोपों की राजनीति कहीं खुद उनके लिए भष्मासुर ना बन जाए। कुछ साल पहले जब दिल्ली की मुख्यमंत्री शिला दीक्षित थीं, तब केजरीवाल ने उन पर टैंकर घोटाले का आरोप लगाया था।

सूचना का अधिकार कानून के लिए की थी खूब मेहनत:

अपनी सरकार बनाने के बाद केजरीवाल खुद उसी कंपनी से काम लेते रहे, जिस पर इतना बड़ा आरोप लगा था। केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़कर अपनी पहचान बनाई थी। सूचना का अधिकार कानून के लिए भी उन्होंने काफी मेहनत की थी, जिसका समाज पर काफी प्रभाव पड़ा था। यही नहीं अन्ना के साथ जनलोकपाल की मांग के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में काफी बड़ा आन्दोलन भी किया था।

धुरंधर खिलाड़ी को हटाकर बनाई अपनी जगह:

अन्ना हजारे हमेशा से राजनीति को अच्छा नहीं मानते थे। जबकि केजरीवाल ने राजनीति में घुसकर भ्रष्टाचार से लड़ने की ठानी और अपनी पार्टी बना ली। पार्टी बनाने के बाद केजरीवाल ने आरोपों की राजनीति शुरू कर दी। इसी की बदौलत उन्होंने दिल्ली की सत्ता से शीला दीक्षित जैसी धुरंधर खिलाड़ी को हटाकर खुद को स्थापित कर लिया। अब ऐसा लगता है कि यही आरोपों की राजनीति उनकी लुटिया डूबो देगी।

मोदी पर भी लगा चुके हैं 25 करोड़ घूस लेने का आरोप:

उन्होंने अडानी-अंबानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री मोदी पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। मोदी पर तो केजरीवाल ने 25 करोड़ रूपये का घूस लेने का आरोप लगाया था। अब केजरीवाल पर खुद 2 करोड़ रूपये घूस लेने का आरोप लग चुका है। उनका सबसे ताजा आरोप यह था कि बीजेपी सभी चुनाव में ईवीएम के साथ छेड़-छाड़ करके जीत रही है। जिस दिल्ली की जनता ने केजरीवाल में अपनी उम्मीदें देखी थी, अब वही जनता केजरीवाल से काफी मायूस है।

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