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आखिर क्यों 5 साल बाद मुहम्मद शाद बने फिर से धर्मवीर, सच्चाई जानकर उड़ जायेंगे आपके होश

सहारनपुर: यह सच है कि धर्म इंसान को जीवन जीने का सही सलीका सिखाते हैं। धर्म कोई भी हो इंसान को प्यार और मुहब्बत के साथ रहने की ही सीख देता है। लेकिन कुछ लोग धर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं। ईसाईयों ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की और दुसरे धर्म के लोगों को जबरदस्ती अपने धर्म में शामिल करने की मुहीम चलाई। इस समय जबरदस्ती धर्म परिवर्तन तो नहीं लेकिन बरगलाकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। ऐसे ही बरगलाये हुए लोगों को हिन्दू धर्म में वापस लाने के काम को घर वापसी नाम दिया गया है। हाल ही में घर वापसी का एक नया मामला सामने आया है।

आज से 5 साल पहले हिन्दू धर्म को अलविदा कहते हुए धर्मवीर ने मुस्लिम धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर मुहम्मद शाद कर लिया था। 5 साल बाद मुहम्मद शाद ने आर्य समाज मंदिर में परिवार के साथ हिन्दू धर्म फिर से अपना लिया है। धर्मवीर ने बताया कि मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उसे नए धर्म के लोगों द्वारा खूब परेशान किया जाता था। कोई भी मुस्लिम उन्हें मुस्लिम मानने को तैयार नहीं था। जब बात ना बनी तो उन्होंने फिर से हिन्दू बनने का फैसला लिया। विश्व हिन्दू परिषद् और आरएसएस ने इस काम में धर्मवीर की काफी मदद की।

55 साल के धर्मवीर जात समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बताया कि 2012 में परिवार के साथ मुस्लिम धर्म अपना लिया था। अपना नाम बदलकर मुहम्मद शाद और पत्नी का नाम ममता से मरियम और बेटी शिवानी का नाम जैनब रख लिया था। अपने बेटे सौरभ और राहुल का नाम शोएब और राशिद कर दिया था। धर्मवीर ने आगे बताया कि वह कई दिनों से इस्लाम में परेशानी महसूस कर रहे थे। पड़ोस में रहने वाले कुछ मुस्लिम भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। वे उन्हें मुस्लिम धर्म का नहीं मानते थे। इस बात से परेशान होकर धर्मवीर ने आर्य समाज मंदिर में विधि-विधान से घर वापसी करते हुए फिर से हिन्दू धर्म अपना लिया।

आरएसएस और विहिप ने अनुक्रिया रस्म का आयोजन किया। विहिप ने के जिलाध्यक्ष मांगेराम ने बताया कि धर्मवीर ने कुछ समय पहले उनसे संपर्क किया था और हिन्दू धर्म अपनाने की बात की थी। धर्मवीर ने बताया कि पिता विजय पाल के साथ आपसी मतभेद की वजह से 2012 में इस्लाम अपना लिया था। उस समय से इस्लाम के हर कानून को मानता था और पाँचों वक्त की नमाज भी अता करता था। धर्मवीर ने बताया कि उनका पड़ोसी आसिफ उनकी बेटी को खूब परेशान करता था। अंत में बेटी ने घर छोड़ दिया। जब इसकी शिकायत समुदाय में की तो किसी ने नहीं सुना। इन्ही बातों से परेशान होकर परिवार ने 6 महीने पहले ही नमाज अता करना बंद कर दिया था।

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