राजनीति

मौलाना का विवादित बयान, महिलाओं में नही होता दिमाग इसलिए उन्हे नही करना चाहिए ये काम

21वीं सदी के आधुनिक युग में भी आधी आबादी को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है.. समाज में आज भी महिलाओं के प्रति लोगों की संकुचित मानसिकता देखने को मिल ही जाती हैं । हां बदलाव हुआ है तो सिर्फ इतना कि आज महिलाएं अपने हक के लिए पहले से कहीं अधिक मुखर हो गयी हैं फलस्वरूप आज जब कभी इनके हक और अस्मिता के खिलाफ कोई बात आती है तो उसे खामोश स्वीकृति नही मिलती बल्कि उसके विरोध में आवाज भी उठती है जैसा कि हाल ही में सऊदी के धर्मगुरु के महिलाओं के खिलाफ बयान से हुआ है। दरअसल साद-अल-हजरी नाम के उन धर्मगुरु ने कहा है कि महिलाओं के पास पुरुष के मुकाबले चौथाई दिमाग होता है इसलिए महिलाओं को ड्राइव नहीं करने देना चाहिए। हालांकि इस विवाद बढ़ने के बाद मौलाना  ने सफाई भी दी और कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी।

वैसे तो सऊदी अरब में आज भी महिलाएं कई अधिकारों से वंचित हैं कुछ समय पहले तक इनमे से एक ड्राइविंग भी रहा है .. यहां तक की ड्राइविंग की वजह से वहां की कई महिलाएं सजा भी भुगत चुकी हैं। असल में वहां महिलाओं को आज भी कुछ काम के काबिल नही माना जाता या कह लें उन्हें शारीरिक या मानसिक रूप से पुरूषों के मुकाबले कमतर आंका जाता हैं। कुछ ऐसी ही सोच का परिचय दिया वहां के धर्मगुरू ने जिससे की आजकल सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है।

वीडियों में सामने आई मौलाना की संकुचित मानसिकता

असल में सऊदी अरब के धार्मिक फतवा के प्रमुख साद-अल-हजरी का कहना है कि मुल्क में महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति नहीं दी चाहिए साथ ही इसके तर्क में ये भी बताया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिमाग एक चौथाई ही होता है। इस दौरान उन्होंने बकाएदे समझाया भी है कि महिलाओं के पास आधा दिमाग होता है.. इसलिए सऊदी अरब की रोड और ट्रैफिक सेफ्टी अथॉरिटी को उन्हें वाहन चलाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। मौलाना के इस विवादित बयान का वीडियो सामने आने के बाद इस पर सोशल मीडिया में हंगामा सा मच गया है.. लोग साफ तौर मौलाना के बयान का विरोध कर रहे हैं ।

सऊदी की महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति हो रही हैं जागरूक

गौरतलब है कि सऊदी अरब में महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं। ऐसे में वहां महिलाएं अकेले कार ड्राइव नहीं कर सकतीं। कुछ समय पहले तक तो वहां महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति ही नही थी वहीं अब अगर उनको गाड़ी चलानी है तो उस वक्त उनके साथ पिता, भाई या फिर पति में से किसी एक को साथ होना चाहिए। ऐसे में अक्सर वहां की कुछ जागरूक महिलाएं ड्राइविंग के लिए अपने अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन करती रहती हैं और कई तरह के कैम्पेन चलाती रहती हैं लेकिन अफसोस फिर भी साद-अल-हजरी जैसे मौलानाओं के मानसिकता में कोई बदलाव नजर नही आ रहा है और समय समय पर वो अपनी संकुचित मानसिकता का परिचय दे ही देते हैं।लेकिन इसके साथ अच्छी बात ये हैं कि अब वहां भी लोगों ने महिलाओं के हक में बोलना शुरू कर दिया है यहीं वजह है कि मौलाना को अपने इस बयान के बाद काफी विरोध झेलना पड़ रहा है यहां तक कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए दक्षिण प्रांत असिर की सरकार ने मौलाना को हटाने की घोषणा भी कर दी। साथ ही सरकारी की तरफ से इस विवादित बयान पर निंदा जताई गई है और सरकार का कहना है कि इस्लाम में पुरुष और महिला को बराबरी का दर्जा दिया है ऐसे में भविष्‍य में अगर कोई भी धर्मगुरु ऐसी बात करता है तो उसके साथ भी ऐसा ही सलूक होगा।

वीडियो देखें

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