राशिफल

गुरुवार से शनि कर रहे हैं राशि परिवर्तन, इन राशि के जातकों का होगा भाग्योदय

शनिग्रह को सभी ग्रहो में सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है और इसके प्रभाव को लेकर लोग सशंकित रहते हैं । क्योंकि शनि की साढ़ेसाती और ढ़ैय्या जिस किसी पर होती है उसे कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है और एक बार फिर कुछ ऐसी ही पतिस्थितियां बन रही ही हैं कि कुछ राशि विशेष के जातकों शनि के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है वहीं कुछ राशि के जातकों का भाग्योदय हो सकता है । दरअसल 26 अक्टूबर 2017 को शनि अपनी चाल बदल रहें है, ज्योतिषियों के मुताबिक इस बदलाव से कई राशियों के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी तो कुछ जातकों को परेशानी भी रहेगी।

शनिग्रह का गुरुवार से राशि परिवर्तन होगा और शनि वृश्चिक राशि से निकल कर दोबारा धनु राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिषविदों के अनुसार 26 अक्टूबर को दोपहर 3:24 बजे से शनि अपनी सम राशि धनु में प्रवेश करेंगे। शत्रु राशि वृश्चिक को छोड़कर सम राशि में शनि का यह प्रवेश काफी उठापटक वाला रहेगा। दो साल तीन माह यानी 24 जनवरी 2020 तक शनि धनु राशि में चलायमान रहेंगे। हालांकि इस बीच में धनु राशि में ही शनि दो बार वक्रीय होंगे और दो बार मार्गीय होंगे।

इन राशियों को मिलेगा लाभ

शनि के धनु राशि में स्थान परिवर्तन से मेष और सिंह राशि पर चली आ रही ढ़ैय्या समाप्त हो जाएगी क्योंकि इन दो राशियों पर ढाई साल से शनि की ढैय्या चल रही थी। इसके अलावा तुला राशि पर शनि की साढ़े साती भी 26 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी। जिसके चलते मेष, सिंह और तुला राशि पर शनि की कृपा दोबारा से मिलने लगेगी यानि कि सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे और धन लाभ के प्रबल संकेत हैं।

इन राशियों का शुरू हो जाएगा बुरा समय

ज्योतिषियों ने बताया कि शनि का राशि परिवर्तन मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, मीन और कुंभ राशि के जातकों के लिए लाभप्रद रहेगा। वहीं मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव आरंभ हो जाएगा। वृषभ और कन्या राशि के जातकों के लिए शनि की ढैया से कष्ट रहेगा। वृश्चिक, धनु और मकर राशियों वाले जातकों पर शनि की साढ़े साती के कारण फिलहाल कष्ट की स्थितियां रहेंगी।

शनि की साढ़ेसाती होती है विनाशकारी

शनि की ढईया और साढ़े साती को प्रायः अशुभ एवं हानिकारक ही माना जाता है.. यहां तक किबड़े-बड़े देवताओं तक को शनि ने भीषण दुख दिए हैं। जब श्री राम को साढ़ेसाती आई तो वनवास हो गया, रावण पर साढ़ेसाती आई तो राम-लक्ष्मण ने सेना लेकर लंका पर चढ़ाई कर दी और रावण के कुल का विनाश कर दिया। जब द्रौपदी पर शनि की साढ़ेसाती आई तो उसकी बुद्धि को भ्रमित कर बुरे वचन कहलवाए जिसके कारण पांडवों को वनवास भोगना पड़ा।

ऐसे मिलती है शनि की साढ़ेसाती से राहत

मान्यता है शिव की उपासना करने वालों को इससे राहत मिलती है। इसलिए जो भी इससे शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो उसे नियमित रूप से शिवलिंग की पूजा व अराधना करनी चाहिए। साथ ही पीपल वृक्ष शिव का रूप माना जाता है, वैसे इसमें सभी देवताओं का निवास मानते हैं, अतः पीपल को अर्घ्र देने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा हनुमान जी को भी रुद्रावतार माना जाता है। अतः उनकी आराधना भी इसके निवारण हेतु फ़लदायी होती है।

 

 

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