अध्यात्म

आप भी लगाते हैं अपने माथे पर तिलक तो पहले जान लें तिलक लगानें के सही नियम

हिन्दू धर्म परम्पराओं का धर्म है। इसमें जितनी परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है, किसी भी धर्म में नहीं किया जाता है। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे परम्पराएं धूमिल पड़ती जा रही हैं। सर पर चोटी रखना, पाँव में बिछिया पहनना, कान छिदवाना यह कुछ पुराणी परम्पराएं हैं। व्यक्ति जैसे-जैसे आधुनिकता की तरफ बढ़ रहा है ये परम्पराएं कहीं पीछे छूट रही हैं। इन्ही प्राचीन भारतीय परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण परम्परा है माथे पर तिलक लगाना। जिसे कुछ समय पहले तक धार्मिक तौर पर जरुरी माना जाता था। हालांकि आजकल के लोग बहुत कम ही तिलक लगाये हुए दिखाई देते हैं।

परम्परा के अनुसार है 12 जगह तिलक लगानें का विधान:

कम ही लोग यह जानते हैं कि तिलक धारण करने का लाभ बहुत है, बशर्ते इसे सही नियमनुसार धारण किया जाये। हिन्दू परम्परा के अनुसार तिलक केवल माथे पर ही नहीं बल्कि गले, हृदय, दोनों बाजू, नाभि, पीठ, दोनों बगल को मिलाकर कुल 12 जगहों पर तिलक लगानें का विधान है। हिन्दू शास्त्रों में व्यक्ति को जीवन जीनें के सही तरीके के बारे में बताया गया है। संबंधों, शिष्टाचार और परम्पराओं को गहराई से उकेरा गया है। आज हम आपको बताएँगे हमारे हिन्दू शास्त्र तिलक लगानें के बारे में क्या कहते हैं।

तिलक लगाते हुए रखें इन बातों का ध्यान:

*- जब भी कोई व्यक्ति हनुमान जी के या किसी देवी माँ के मंदिर जाता है तो उनके चरणों में पड़े हुए सिंदूर से तिलक लगा लेता है। ऐसा करना काफी लाभदायक होता है। सिंदूर उष्ण होता है।

*- हिन्दू धर्मशास्त्रों की मानें तो महिलाओं को कस्तूरी रंग की बिंदी या सिंदूर ही धारण करना चाहिए। यह धार्मिक दृष्टि से और वैज्ञानिक दृष्टि से सही होता है।

*- शास्त्रों के अनुसार सिंदूर धारण करनें से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। नहा-धोकर साफ़-सुथरे वस्त्र पहनकर उत्तर दिशा की तरफ मुँह करके ही अपने माथे पर तिलक लगाना चाहिए।

*- शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि सफ़ेद चन्दन, लाल चन्दन, कुमकुम, विल्वपत्र, भस्म का तिलक करना शुभ और फायदेमंद होता है। जो भी व्यक्ति बिना तिलक धारण किये भोर में या शाम के समय हवन करता है, वह फलीभूत नहीं होता है।

*- तिलक लगानें वाले व्यक्ति को तिलक के इस नियम को अवश्य ही मानना चाहिए। एक ही व्यक्ति या साधक को उर्ध्व, पुण्डर और भस्म से त्रिपुंड नहीं लगाना चाहिए।

*- माथे के ठीक बीच में स्थित हिस्से को ललाट बिंदु कहा जाता है। यह पुरे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। यह दोनों भौंहों का भी मध्य भाग होता है। जब भी माथे पर तिलक धारण करें हमेशा इसी स्थान पर धारण करें।

*- तिलक लगाते समय अलग-अलग अँगुलियों का प्रयोग करना अलग-अलग फल देता है। अनामिका अंगुली से तिलक लगानें पर व्यक्ति को शांति की प्राप्ति होती है।

*- मध्यमा अंगुली से तिलक लगाने पर व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है।

*- विष्णु संहिता में यह भी बताया गया है कि किस कार्य के दौरान किस अंगुली से तिलक लगाना शुभ होता है।

*- किसी भी तरह के वैदिक और शुभ कार्य के दौरान अनामिका अंगुली, पितृ कार्य में माध्यम, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका और तांत्रिक क्रियाओं में तर्जनी का प्रयोग शुभ माना जाता है।

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