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शहीद की पत्नी के इमोशनल FB पोस्ट पर उमड़ा भावनाओं का सैलाब…. नही धुली उनकी वर्दी अब तक

सैनिक देश के प्रहरी होते हैं जिनके होने से आम आदमी चैन से अपने अपने घरों में सामान्य जिंदगी जी पाते हैं लेकिन इन फौजियों की जिंदगी कभी सामान्य नही हो पाती … अधिकांश समय अलग अलग जगहों पर विषम परिस्थितियों में सेवा करते हुए गुजरती है.. घर परिवार से दूर देश की रक्षा में लगे इन सैनिको का पूरा जीवन त्याग और समर्पण में गुजरता है.

इधर उनके परिवार वालों को भी बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है किसी को पिता के प्यार से वंचित रहना पड़ता है तो किसी पत्नी को पति का साथ नसीब नही होता ..और फिर देश की सेवा में अगर सैनिक शहीद हो जाए तो उसके पूरे परिवार को भी बड़ी बलिदानी देनी पड़ती है। लेकिन देश की रक्षा और सेवा करने का ज़ज्बा कायम रहता है जिसके दम पर देश की सेना तैयार होती है। आज हम आपकों इसी जज्बे से रूबरू करा रहे हैं। Facebook-post-of-martyr-Akshay’s-wife-goes-viral

शहीद की पत्नी ने फेसबुक पर डाली इमोशनल पोस्ट

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बेहद इमोशनल पोस्ट ने सबका ध्यान खींचा था जिसने सैनिको की जिंदगी और उनके परिवार की स्थिति से आम इंसान को रूबरू कराया ..इस पोस्ट ने लोगों के दिलों को कुछ यूँ छुआ कि देखते ही देखते ये वायरल हो गया। ये पोस्ट है साल 2016 में जम्मु कश्मीर में शहीद हुए मेजर अक्षय गिरीश  की पत्नी संगीता का। मेजर अक्षय गिरीश की पत्नी संगीता ने फेसबुक पेज बीइंग यू पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने अपनी लव लाइफ से लेकर बुरे दिनों तक की पूरी कहानी लिखी है।

मेजर अक्षय गिरीश का परिवार कश्मीर के नगरोटा में रहता था.. मेजर अक्षय गिरीश जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में थलसेना की एक यूनिट पर हुए हमले में मेजर अक्षय गिरीश (31) कुमार शहीद हो गए थे। इस पोस्ट में संगीता ने अपनी और अक्षय की पहली मुलाकात से लेकर उस आखिरी दिन का भी जिक्र किया है जिस दिन मेजर अक्षय शहीद हुए थे।

फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा है कि “2011 में हमारी शादी हो गई और हम दोनों पुणे शिफ्ट हो गए. इसके दो साल बाद बेटी नैना ने जन्म लिया। अक्षय इसके बाद अपने प्रोफेशनल असाइनमेंट के लिए लंबे समय के लिए चले गए। 2016 में जम्मू कश्मीर के नगरोटा में अक्षय की पोस्टिंग हो गई. हम भी वहां गए और ऑफिसर्स मेस में ठहरे क्योंकि वहां घर अलॉट नहीं हुआ था।

उसी साल 29 नवंबर की सुबह 5.30 बजे फायरिंग की आवाज हुई और हम जाग गए. कुछ ही देर में ग्रेनेड फूटने की आवाज आई. इसके बाद 5.45 बजे एक जूनियर हमारे पास आया और अक्षय से बोला कि आतंकियों ने तोपखाने की रेजिमेंट को बंधक बना लिया है तो अक्षय ने कपड़े बदले और चले गए ।इसके बाद सभी महिलाओं और बच्चों को एक कमरे में रखा गया था और संतरियों को कमरे के बाहर तैनात किया गया था फिर दोपहर तक अक्षय की कोई खबर आई ..तो 11:30 बजे, मैं खुद को रोक नहीं सकी और एक कॉल कराई.”

“उनकी टीम के एक सदस्य ने फोन उठाया और कहा कि मेजर अक्षय एक अलग जगह पर गए हैं. करीब शाम 6:15 बजे, उसके कमांडिंग और कुछ अन्य ऑफिसर्स मुझसे मिलने आए. उन्होंने कहा, “मैम हमने अक्षय को खो दिया है. वे करीब सुबह 8:30 बजे शहीद हुए थे.” यह सुनते ही मेरी दुनिया ही ढह गई.।

मैंने उनकी वर्दी अब तक नही धोई

संगीता ने बताया कि उन्होंने आज भी शहीद पति की वर्दी, कपड़े और सारी चीज़ें कई वर्षों से सहेज कर रखी थी. मैंने उनका रेजिमेंट जैकेट आज तक धोया नहीं है और जब मुझे बहुत याद आती है, तो मैं इसे पहन लेती हूं. जिसमें अभी भी उसमें अक्षय की खुशबू आती है।

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