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कोर्ट की फटकार से सुधर गईं ममता, कहा – ‘दुर्गा भी पूजती हूं, अल्लाह भी’

कलकत्ता – ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में मुहर्रम में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई गई है। ममता का तर्त है कि इस बार 30 सितंबर को विजय दशमी और एक अक्टूबर को मुहर्रम का जुलूस एक साथ होना है। इसी के चलते उन्होंने 30 सितंबर को रात दस बजे के बाद मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई है। लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट कि फटकार के बाद दुर्गा पूजा को लेकर ममता बनर्जी के सुर बदल गए हैं। Mamata benarjee durga visarjan.

अगर ये तुष्‍टीकरण है तो मरते दम तक करूंगी

मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर कलकत्‍ता हाई कोर्ट की फटकार का प्रभाव ज्यादा तो नहीं पड़ा है, लेकिन अब वो थोड़ा संभली हुई दिख रही हैं। मुहर्रम के दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाकर विवादों में घिरीं ममता को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए एक ही दिन पर मुर्ति विसर्जन और मुहर्रम जुलूस निकालने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने ममता सरकार का फैसला पलटते हुए विसर्जन की अनुमति दे दी है।

ममता बनर्जी ने क्या कहा?

ममता ने कहा है कि, अगर यह तुष्‍टीकरण है तो मैं मरते दम तक ऐसा करती रहूंगी। अगर मेरे सिर पर बंदूक रख दी जाए तो भी यही करूंगी। मैं भेदभाव नहीं करती। यह बंगाल की संस्‍कृति है, मेरी संस्‍कृति है। ममता ने आगे कई सवाल उठाते हुए पूछा कि, पूजा पंडालों में लाखों लोग जाते हैं। क्या आयोजक राम, रहीम, जेम्स और पॉल के नाम पर भेदभाव करते हैं। ममता ने फिर कहा कि, अगर मैं मुस्लिम कार्यक्रम में जाती हूं, तो मुझ पर तुष्टीकरण का आरोप लगता है। इसी तरह अगर हिंदू कार्यक्रम में जाती हूं तो हिंदुओं के तुष्टीकरण का आरोप लगता है।

दुर्गा पूजा पर ममता कई बार लगाई है रोक

आपको बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब ममता ने हिन्दुओं के त्यौहारों पर रोक लगा कर मुस्लिमों को ज्यादा वरियता दी हो। ममता बीते कुछ वर्षों से इस मुद्दे पर गंदी राजनीति करने का प्रयास कर रही हैं। दरअसल, इस साल 1 अक्टूबर को मोहर्रम है। ममता सरकार ने पिछले साल भी ममता सरकार ने कुछ ऐसा ही किया था। जिसके कारण विजय दशमी मुहर्रम से एक दिन पहले मनाया गया था। बाद में कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता सरकार के फैसले पर उन्हें फटकार लगाते हुए इसे “मनमाना” करार दिया था। कोर्ट ने ममता के फैसले को ‘अल्पसंख्यक वर्ग को खुश करने’ का प्रयास बताया था।

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