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चार दिन तक मां के शव के साथ रहना पड़ा करोड़पति बेटे को, ये थी वजह

कानपुर के पॉश इलाके में आलीशान बंगला, विरासत में मिलीं दो कपड़ा फैक्ट्री, मुंबई में फैला करोड़ों का व्यवसाय। लेकिन सेहत और सीरत ऐसी की जैसे भिखारी हो। जी हां जिसके पास इतना सबकुछ हो, फिर भी वो बेटा अपनी मां की लाश अंतिम संस्कार के लिए ले न जा सके तो क्या कहा जाएगा। जी है कुछ ऐसा ही हुआ है। कानपुर के विकास विश्वनाथ गोयनका के साथ। जिनको रेलवे अधिकारियों ने लाश को मुंबई लेजाने की बुकिंग नहीं की क्योंकि विकास की शक्ल भिखारियों की तरह लग रही थी, विकास को देखकर अधिकारियों को लगा की शायद कोई भिखारी दफ्तर में घुस आया। जिसके  बाद उन्होंने मुंबई ले जाने से मना कर दिया।

चार दिन तक घर में पड़ी रही मां की लाश

कानपुर के जनरलगंज कपड़ा बाजार में मौजूद गोयनका हाउस में एक 78 साल की बुजुर्ग महिला की बॉडी पिछले सोमवार से पड़ी थी। 4 दिनों से बॉडी घर में होने की वजह से उसमें से बदबू आने लगी। स्थानीय लोगों ने 100 नंबर पर सूचना तब जाकर पुलिस ने बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

चेहरे पर लंबी दाढ़ी, बाल गंदे और लट पड़े हुए। गंदे कपड़े पहने कलक्टर गंज थाने में इस आदमी को एकबार तो सभी ने भिखारी समझा। लेकिन इसके पास लाखों की नहीं बल्कि करोंड़ो की प्रॉपर्टी है। दरअसल, जनरलगंज के जिस गोयनका हाउस में बुजुर्ग महिला शान्ति विश्वनाथ की बॉडी को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया वो इस शख्स की मां हैं। गोयनका हाउस का वो खुद मालिक है। जिसकी कीमत करोड़ों में बताई जाती है।

भिखारियों के वेश में खड़े इस शख्स का नाम विकास विश्वनाथ गोयनका (48) है। इसने बताया – 4 महीने पहले मां को मुंबई से लेकर कानपुर आया था। मां बीमार रहती थी। बीते सोमवार की रात मां की अचानक तबियत खराब हो गई। जिसके बाद वो नर्सिंगहोम में उसे लेकर गया। लेकिन डॉक्टरों ने मां को मृत घोषित कर दिया।

रेलवे ने बॉडी बुक करने के बजाय गाली देकर भगा दिया

विकास ने बताया कि, ”मां की डेडबॉडी मुंबई लेकर जाना चाहता था। उसका अंतिम संस्कार वहीं करना चाहता था। क्योंकि पिता का अंतिम संस्कार भी वहीं किया गया था। मां की डेडबॉडी बुक करवाने जब कानपुर सेन्ट्रल गया तो अधिकारियों ने बात करना तो दूर गालियां देकर भगा दिया।

विकास विश्वनाथ गोयनका ने रेलवे अधिकारियों को अस्पताल से लिखवाए डेथ सर्टिफिकेट, अपना पहचान पत्र भी दिखाने की कोशिश की लेकिन अधिकारियों ने एक ना सुनी। विकास ने बताया कि रेलवे के अधिकारियों के चक्कर काट रहा हूं लेकिन मेरी वेशभूषा को देखकर वो लोग मुझे भिखारी समझ रहे हैं।

मुंबई में भी है प्रॉपर्टी

विकास बताया कि मेरा जन्म मुंबई में हुआ, वहीं, पला-बढ़ा हूं। पिता विश्वनाथ गोयनका करीब 50 साल पहले 20 साल की उम्र में मुंबई आकर बस गए थे। 1930 में बाबा वृद्धि चंद ने कानपुर के जनरलगंज इलाके में गोयनका हाउस बनवाया था। पिता कानपुर में बाबा कपड़े का कारोबार करते थे। धंधे को बढ़ाने के लिए पिता मुंबई चले गए जहां भीवंडी में कपड़े की फैक्ट्री लगाई। आज कुल तीन फैक्ट्रियों में करोड़ों का व्यवसाय हो रहा है।

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