बिज्ञान और तकनीक

शून्य और दशमलव के साथ ही भारत ने बहुत कुछ दिया है दुनिया को, क्या आप जानते हैं?

भारत, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है ये तो सब जानते हैं पर क्या आपको पता है कि विज्ञान और तकनीकि के क्षेत्र में भी हमारे देश ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है। इतिहास गवाह है कि भारत हमेशा से ही ज्ञान के क्षेत्र में एक अग्रणी देश रहा है। शून्य का आविष्कार हो या फिर दशमलव का, भारतीय वैज्ञानिकों ने आदिकाल से दुनिया को कुछ न कुछ नया दिया है। आज हम आपको कुछ ऐसे भारतीय आविष्कारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका उपयोग पूरी दुनिया में हो रहा है।

शून्य और दशमलव

शून्य और दशमलव का आविष्कार भारत में हुआ था। महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शून्य और दशमलव की खोज की थी। ब्रह्मगुप्त ने उनके इस काम को आगे बढ़ाया था। यूरोपीय देशों को इस अंक प्रणाली का ज्ञान अरब देश से प्राप्त हुआ था, जबकि अरबों को यह ज्ञान भारत से मिला था।

ई-मेल का अविष्कार

ई-मेल का आविष्कार भारतीय मूल के अमेरिकी साइंटिस्ट शिवा आयादुराई ने किया था। आयादुराई का जन्म मुंबई के एक तमिल परिवार में हुआ था। सात वर्ष की आयु में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गये। अमेरिकी सरकार ने 30 अगस्त 1982 को आयादुराई को आधिकारिक रूप से ई-मेल की खोज करने वाले के रूप में मान्यता दी और 1978 की उनकी खोज के लिये पहला अमेरिकी कॉपीराइट दिया।

राईट ब्रदर्स नही बल्कि इस भारतीय किया था हवाई जहाज का अविष्कार

हवाई जहाज बनाने का श्रेय ऑरविल व विलबर नाम के अमेरिकी राइट बंधुओं को दिया जाता है। जबकि राइट ब्रदर्स से आठ साल पहले वर्ष 1895 में शिवकर बापूजी तलपड़े नाम के एक भारतीय नागरिक ने मुंबई की चौपाटी के नजदीक सार्वजनिक तौर पर हवाई जहाज को उड़ाया था। मरुतसखा नाम के हवाई जहाज की प्रथम उड़ान का प्रदर्शन मुंबई चौपाटी पर तत्कालीन बड़ौदा नरेश सर शिवाजी राव गायकवाड़ और लालजी नारायण के सामने किया गया था।

हवाई जहाज पन्द्रह सौ फुट ऊँचाई तक गया था, जबकि राइट बंधुओं के हवाई जहाज ने केवल एक सौ बीस फुट ऊंची उड़ान भरी थी। बाद में बापूजी तलपड़े की पत्नी का निधन हो गया, तो उन्होंने इस दिशा में कार्य बंद कर दिया। 17 दिसंबर 1918 को उनका निधन हो गया, जिसके बाद आविष्कार सम्बन्धी कागज़ और सामान उनके परिजनों ने अंग्रेजों को बेच दिया, जिससे उनके नाम के साथ वह आविष्कार भी इतिहास में दफन हो गया।

इस विषय पर हाल ही में एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम हवाईजादा है, यह फिल्म बहुत हद तक सच को सामने लाने में सफल रही है।

प्लास्टिक सर्जरी

जी हां, प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत भी भारत में ही हुई थी, वह भी लगभग 2000 हजार ईसा-पूर्व।

शतरंज

युद्धनीति पर आधारित भारत के पारंपरिक खेल चतुरंग का ही परिष्कृत रूप है शतरंज। इसका आविष्कार 6ठी सदी में गुप्त राजवंश के दौरान किया गया था। उस दौरान यह राजाओं, महाराजाओं का खेल हुआ करता था।

स्केल

स्केल का उपयोग पहली बार लगभग 1500 ईसा-पूर्व सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान हुआ था। मोहनजोदड़ो की खुदाई में हाथी दांत के बने हुए स्केल मिले हैं, जो वाकई अद्भुत हैं।

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