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जैसा बोया है वैसा काट रहा है पाकिस्तान, क्वेटा सुसाइड अटैक में ४२ लोगों की मौत

आतंकी हाफिज सईद ने  भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के दौरे को लेकर पाकिस्तान सरकार को पहले से ही धमकियां देनी शुरु कर दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को राष्ट्रपति के जैसे सुरक्षा मौहया कराई थी, पर राजनाथ सिंह के पाकिस्तान दौरे का खामियाजा पाकिस्तान के लोगों को ही अपनी जान देकर चुकाना पड़ा है। बात यह हुई की सोमवार को पाकिस्तान के क्वेटा शहर के सिविल हॉस्पिटल में हुए सुसाइड हमले (Quetta suicide attack) में ४२ लोगों की मौत हो गई और  ३० से ज्यादा लोग घायल हैं।

आपको बता दें कि इस सुसाइड ब्लास्ट में ज्यादातर वकील और मीडिया वाले ही घायल हुए हैं।  ये मिडिया वाले और बाकी लोग बलूचिस्तान बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट बिलाल अनवर को देखने पहुंचे थे। एडवोकेट बिलाल अनवर को कुछ लोगों ने गोली मार दी थी। घटनास्थल पर फायरिंग की आवाज भी सुनी गई।

इस मामले मैं भारतीय सीक्रेट एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) पर आरोप लगने शुरु हो गए हैं।  वर्ष २०१६ में  अकेले क्वेटा शहर में ही ३६ आतंकी हमले हुए हैं और इनमें ११९ लोगों की मौत हुई है।  देखा जाए तो  जगह के अनुपात मैं बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। बलूचिस्तान की सीमा रेखा ईरान और अफगानिस्तान से लगा  है। यहां बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग करने वालों पाक आर्मी की मौत के ग़ाट उतार देती है य फिर उन के साथ अमानविय व्यवहार करती है । बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से बार- बार आजादी की मांग करते रहे हैं, जल्द ही शायद उन का सपना पूरा हो

जैसा बोया है वैसा काट रहा है पाकिस्तान

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राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान मैं दिये हुये अपने भाषण मैं कहा था की  “आतंकवाद को महिमा मंडित न किया जाए और किसी भी देश द्वारा उसे संरक्षण न दिया जाए। एक देश के आतंकवादी किसी दूसरे देश के लिए शहीद या स्‍वतंत्रता लडाकू नहीं हो सकते।

मैं न केवल भारत या अन्‍य सार्क सदस्‍यों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए बोल रहा हूं कि किसी भी परिस्थिति में आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा न दिया जाए। जो देश आतंकवाद को या आतंकवादियों को समर्थन प्रोत्‍साहन, संरक्षण, सुरक्षित आश्रय या अन्‍य सहायता उपलब्‍ध कराता है, उसे अलग-थलग किया जाए। न केवल आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कदम उठाए जाने की जरूरत है, बल्कि उन व्‍यक्तियों, संस्‍थानों या देशों के खिलाफ भी ऐसी ही कड़ी कार्रवाई किये जाने की आवश्‍यकता है। इससे ही यह सुनिश्चित होगा कि मानवता के खिलाफ आतंकवाद के गंभीर अपराध को बढ़ावा देने में लगी ताकतों से केवल प्रभावी रूप से ही निपटा जा सकता है।”

 

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