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विज्ञान में कम नंबर आए तो सब बोले आर्ट्स ले लो, छात्रा बोली- नहीं पहले मेरी कॉपी दिखाओ, फिर.

10वीं की परीक्षा किसी भी छात्र के लिए बेहद खास होती है। इसके बाद 11वीं में वह अपना पसंद का विषय जैसे साइंस, आर्ट्स और कामर्स चुनता है। हालांकि वह कौन सा विषय लेगा यह बात उसके 10वीं में आए अंकों पर अधिक निर्भर करती है। लेकिन क्या होगा जब आपका पेपर अच्छा गया था, लेकिन नंबर कम आए। और आपको साइंस की जगह आर्ट्स लेना पड़े? यकीनन ये जान कोई भी उदास हो जाएगा। लेकिन फतेहपुर के नगरदास गांव की एक छात्रा ने अपने आत्मविश्वास से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पोल खोल दी।

मेघावी छात्रा के विज्ञान में आए कम नंबर

दरअसल नगरदास की बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल की कविता कुमारी नाम की छात्रा के दसवीं में 80.67 प्रतिशत अंक आए थे। कविता पढ़ने में काफी अच्छी है। उसके सभी विषयों में 80 से ऊपर अंक आए थे। लेकिन विज्ञान में उसके महज 43 नंबर आए। यह देख वह खुद भी हैरान रह गई। उसे विश्वास था कि उसका विज्ञान का पेपर काफी अच्छा गया था। लेकिन फिर भी कम नंबर आने की बात उसे हजम नहीं हुई।

डबल कॉपी चेक हुई तो नंबर भी हुए डबल

उधर कविता के कम नंबर आने पर उसके माता-पिता व टीचर्स उसे 11वीं में आर्ट्स लेने के लिए दबाव बनाने लगे। जबकि कविता विज्ञान विषय लेना चाहती थी। ऐसे में कविता ने अपना आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया और आरटीआइ से अपनी विज्ञान विषय की कॉपी मंगवा ली। अब जब दोबारा कविता की कॉपी जाँची गई तो इस बार उसके विज्ञान में 43 की जगह 94 नंबर आ गए। इससे उसका कुल प्रतिशत भी 80.67 से 89.16 हो गया।

छात्रा के आत्मविश्वास ने खोली बोर्ड की पोल

कविता के इस आत्मविश्वास ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पोल खोल दी। उनकी एक गलती की वजह से बच्ची का रिजल्ट और सपने दोनों खराब हो गए थे। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की लापरवाही के चलते किसी बच्चे का रिजल्ट बिगड़ा हो। ऐसे मामले हर साल आते हैं। सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि बाकी राज्यों में भी कॉपी चेक को लेकर हुई लापरवाही सामने आती रहती है। बोर्ड की इस गलती का खामियाजा बच्चे भुगतते हैं। कई बार वे डिप्रेशन में भी चले जाते हैं।

कविता का मामला एक जीता जागता उदाहरण है कि कैसे बोर्ड की गलती बच्चे का भविष्य तक खराब कर सकती है। नगरदास बालाजी सीनियर सैकण्डरी स्कूल के प्राचार्य दिनेश पारीक ने भी इस बात की पुष्टि की है कि कविता के नंबर आरटीआई के तहत कॉपी मँगवाने के बाद बड़े हैं। अब कविता कला संकाय की बजाय विज्ञान विषय लेकर काफी खुश है।

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