राजनीति

अरे वाह! छात्र ने शी जिनपिंग को लिखा पत्र, कहा – ‘चीन को हिरोशिमा और नागासाकी बना देंगे’

नई दिल्ली – भारत और चीन के बढ़ते विवाद के बीच दिल्ली  से सटे नोएडा के सेक्टर-11 स्थित नेहरू इंटरनेशनल स्कूल के आठवीं के छात्र वैभव मनराल ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को एक ओपन लेटर लिखा है। वैभव ने इस लेटर को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ई-मेल के जरिए भेजा है। इस लेटर में वैभव ने चीन और भारत के बीच युद्ध की स्थिति को खत्म करने का आग्रह किया है। Open letter of eighth student to Shi Jinping.

बौद्ध धर्म के शांति और अहिंसा के संदेश से सीख

वैभव ने अपने लेटर में शी जिनपिंग से बौद्ध धर्म के शांति और अहिंसा के संदेश से सीख लेने को कहा है। शी जिनपिंग को शांती का पाठ पढ़ाते हुए छात्र ने लेटर में शांति के प्रतीक कबूतर के चित्र भी डाला है। इस लेटर को वैभव ने शनिवार को दिल्ली स्थित चीन के दूतावास के ई-मेल आईडी पर भेजा है। लेटर में वैभव ने चीन और भारत के बीच बढ़ते विवाद पर दुख जताया है।

छात्र ने कहा है कि दोनों देशों के लोग इस वक्त भारत और चीन के बीच में युद्ध की बात कर रहे हैं। मैं आठवीं का छात्र हूं और मैंने हमेशा ही भारत और चीन के बीच संबंध कितने अच्छे हैं इस बारे में पढ़ा है। वैभव ने लेटर में बौद्ध धर्म को लेकर दोनों देशों से शांति कि अपील की है। वैभव ने लिखा है कि बौद्ध धर्म को विभन्नि बौद्ध मिशनरियों और भारतीय राजाओं के प्रयासों से ही चीन तक फैलाया गया। दोनों देशों को इस धर्म के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

चीन को हिरोशिमा और नागासाकी से सबक लेने की बात

छात्र ने चीन के राष्ट्रपति को शांति का पाठ तो बढ़ाया ही है साथ ही साथ भारत से युद्ध के नतीजे भी बता दिये हैं। वैभव ने लेटर में जापान के शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु बम के हमले का जिक्र करते हुए उसके विनाशकारी परिणामों को याद दिलाया है। वैभव ने चीन के राष्ट्रपति से चीन की सीमा विस्तार और दूसरे देशों कि भूमि कब्जाने की नीति को बदलने कि अपील कि है।

वैभव ने चीन के राष्ट्रपति को युद्ध से होने वाले महाविनाश को बताते हुए लिखा है कि चीन को युद्ध के परिणाम क्या होंगे ये समझना चाहिए। छात्र ने कहा है कि मैं कई दिनों से डोकलाम मुद्दे पर चीन के राष्ट्रपति को लेटर लिखना चाह रहा था। और मैंने 18 अगस्त को लेचर लिखकर अगले दिन चीन के दूतावास को ई-मेल कर दिया। आपको बता दें कि चीन के दुतावास से अभी तक इस लेटर का कोई जवाब नहीं आया है।

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