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कश्मीरियत की मिसाल है ये मुस्लिम परिवार, खबर पढ़कर आप भी करेंगे इन्हें सलाम

सर पर एक छत मुनासिब नही है, खाने के लिए दो जून की रोटी बड़ी मेहनत से नसीब होती है पर दिल इतना बड़ा है कि अपना पेट भरने के साथ ये परिवार, सेना के जवानों को भी खाना खिलाता है। इससे भी खास बात है कि ये एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार है, एक तरफ जहां अलगाववादियों के बहकावें में आकर कश्मीर की आवाम, सेना से नफरत करती है और उन पर पत्थर बरसानें से भी गुरेज नही करती है वहीं ये परिवार ने इस नेक काम के जरिए अलग मिशाल पेश कर रहा है । muslim family offers food to army.

 फौजियों को पत्थर नही दो जून की रोटी पेश करत हैं

कश्मीर के केरन सेक्टर में रहने वाले इमाम अली का परिवार बेहद गरीब है। वो दिन भर ठेले पर सब्जियां बेचता है तब जाकर शाम और सुबह की रोटी मिल पाती है। इसके बावजूद इमाम अली और उनकी बेगम वहां तैनात जवानों के लिए रोज दोनों टाइम खाना भेजते हैं। इमाम खुद ठेले पर खाना रखकर जवानों के कैंप तक देकर आते हैं और इस परिवार से मिला खाना फौजी भी खुशी खुशी लेकर खा लेते हैं।

अल्लाह से भी बढ़कर हैं फौजी

कश्मीरियत का असली चेहरा है ये परिवार क्योंकि … इमाम अली का परिवार कश्मीर के उस केरन इलाके में रहता है जो आतंक के साए और संगीनों के गिरफ्त में है …सेना की तैनाती भी इसी वजह से वहां रहती है पर इसके साथ ही कश्मीर में सेना और आम जनता के बीच की दुरियां किसी से छिपी नही है । वहां की जनता अवगाववादियों के बहकावें में आकर भारतीय फौज को अपना दुश्मन मानती है। आए दिन सेना पर पत्थरबाजी और आम जनता से भिड़त की खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। ऐसे में इमाम अली की सेना के प्रति ये नेक सोच और उनकी दरियादिली वाकई एक नजीर है जो हिंदुस्तान के हर मुसलमान को जाननी चाहिए ।

 

 

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