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दुनिया की सबसे खूबसूरत जासूस, पैसों के लालच में बन गई थी डबल एजेंट!

मार्गरेट गीर्तोईदा जेले उर्फ माता हरी जासूसी की दुनिया का सबसे मशहूर नाम है। 7 अगस्त 1876 को नीदरलैंड में पैदा हुईं और पेरिस में पली-बढ़ीं मार्गरेट जेले (माता हरी) को  15 अक्टूबर, 1917 को गोलियों से भून दिया गया था। माता हरी को जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मारा गया। लेकिन, सच तो यह है कि दुनिया कभी जान ही नहीं पाई कि वो फ्रेंच जासूस थी, या जर्मन।

कई प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध रहे…

माता हरी एक एक बेहतरीन डांसर भी थी, जो इसका पेशा था। पहले विश्‍व युद्ध के समय तक वह पेरिस में एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर हो गई थीं। उनका कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी पहुंचा करते थे। इसी मेलजोल के दौरान गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को देने का सिलसिला चलने लगा। पेरिस में उन्होंने अपनी मोहक अदाओं से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था और उनका नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया। इस दौरान माता हरी के कई शीर्षस्थ सैन्य अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध रहे, जिनमें जर्मन प्रिंस भी शामिल थे।

पैसों के लालच में बन गई थी डबल एजेंट
माता हरी की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो इंडोनेशिया में तैनात था। दोनों तत्कालीन डच ईस्ट इंडीज के द्वीप जावा में रह रहे थे। इंडोनेशिया में ही वो एक डांस कंपनी में शामिल हो गईं और अपना नाम बदलकर माता हरी कर लिया। नीदरलैंड्स लौटने के बाद 1907 में माता हरी ने अपने पति को तलाक दे दिया और पेशेवर डांसर के रूप में पेरिस चली गईं। पेरिस में माता हरी एक साल तक एक फ्रेंच राजनीतिज्ञ की रखैल बनकर रही। इसी दौरान फ्रेंच सरकार ने माता हरी को जासूसी करने के लिए राजी कर लिया। इसके बदले में उसे अच्छी खासी रकम दी गई। फ्रेंच सरकार न प्रथम विश्वयुद्ध के समय माता हरी को हथियार बना कर जर्मन मिलिट्री ऑफिसर्स की कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की थीं। लेकिन, माता हरी की पैसों की भूख बहुत बढ़ चुकी थी। उसने फ्रांस सरकार की भी जानकारी जर्मनी सरकार को देनी शुरू कर दी। यह बात फ्रांस के खूफिया डिपार्टमेंट को पता चल गई थी।

1917 को उनके होटल रूम से अरेस्ट किया गया

सन् 1917 में फ्रांस में माता हरी को अरेस्ट किया गया। इस दौरान माता हरी ने खुद को फ्रांसीसी जासूस के तौर पर पेश किया, लेकिन उनका झूठ पकड़ा गया। फ्रांसीसी सेना ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड से जर्मनी की राजधानी बर्लिन भेजे जा रहे उन संदेशों को पकड़ा, जिसमें कहा गया था कि उन्हें एच-21 से सटीक जानकारियां मिल रही हैं। इसके बाद फ्रांसीसी सेना ने एच-21 की पहचान माता हरी के रूप में की। और उन्हें पेरिस में 13 फरवरी, 1917 को उनके होटल रूम से अरेस्ट कर लिया गया। इसके बाद उन्हें 50 हजार लोगों के मौत का जिम्मेदार ठहराया गया और 15 सितंबर, 1917 में गोलियों से भूनकर मौत देने की सजा मिली। माता हरी के मरने के बाद भी ये साफ नहीं हो सका कि वो किस देश के लिए जासूसी कर रही थी। माता हरी डांस, सेक्स और सीक्रेट डीलिंग का खेल खेलते हुए 41 की उम्र में अपनी जान से हाथ धो बैठी।

भून दिया गया था गोलियों से
फ्रांसीसी और ब्रिटिश खुफिया तंत्र को शक था कि माता हरी जर्मनी के लिए जासूसी करती हैं, लेकिन उनके पास कोई सबूत नहीं थे। हालांकि, इसके बावजूद उन पर डबल एजेंट होने का आरोप लगाया गया और फ्रांस में फायरिंग स्क्वैड द्वारा गोलियों से भून दिया गया। उनका अंतिम संस्कार करने उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया। माता हरी के जीवनी लेखक रसेल वारेन हाउ ने 1985 में फ्रांसीसी सरकार को यह मानने को राजी कर लिया कि वह निर्दोष थीं।

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