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इस उम्र के बाद माँ बाप को बच्चो के साथ सोना छोड़ देना चाहिए, सुलाना चाहिए अलग बिस्तर पर

किसी भी माता-पिता के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है कि वे अपने बच्चों को एक बेहतर परवरिश दे. कहते है कि बच्चा 80 फीसदी अपने घर से सीखता है और 20 फीसदी बाहरी दुनिया से. ऐसे में किसी भी बच्चे के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है उसके माता-पिता की बेहतर सीख और परवरिश.

माता-पिता को बच्चे के जन्म से लेकर जब तक वो दुनियादारी को समझने न लगे तब तक उसका पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए. बच्चे की हर एक छोटी-बड़ी चीज का माता-पिता को ख्याल रखना पड़ता है. आप छोटे से बच्चे में जिस तरह की आदतें और गुणों का निर्माण करेंगे वो उसे आगे जाकर बेहतरीन इंसान बनाएगी. बड़े होने पर बच्चों को समझना और सुधारना मुश्किल होता है. ऐसे में बच्चों में बचपन से ही, शुरू से ही अच्छी आदतों का निर्माण करना चाहिए.

आज हम आपको बताने जा रहे है कि किस उम्र में माता-पिता को अपने बच्चों के साथ सोना या बच्चों को अपने साथ सुलाना बंद कर देना चाहिए. सोचने और कहने को तो यह एक आम बात है हालांकि यह महत्वपूर्ण विषय है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

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हर माता-पिता छोटे बच्चों को अपने पास सुलाते है. यह उनकी प्राथमिका में शामिल होता है लेकिन एक उम्र में बाद माता-पिता को खुद से बच्चों को या बच्चों को सोने के दौरान खुद से दूर कर देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर बच्चे की आदत बिगड़ सकती है. एक शोध में पाया गया है कि किसी भी माता-पिता को 2 से 3 वर्ष की आयु में बच्चों को अलग सुलाना शुरू कर देना चाहिए. यह माता-पिता और बच्चे दोनों के लिए ही उचित रहेगा.

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एक उम्र तक आप अपने बच्चों को अपने साथ एक ही बेड पर सुला सकते है हालांकि जब आपका बच्चा करीब तीन साल का हो जाए तो फिर पैरेंट्स को इस दौरान उसे अलग बेड पर सुलाने की आदत डाल देनी चाहिए. बता दें कि बच्चा अलग बेड पर सोने के बावजूद माता-पिता की नजरों के पास रहेगा. इससे माता-पिता और बच्चे को भी फायदा होगा.

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आपको यह तो बता दिया है कि बच्चन को किस उम्र में अलग बेड पर सुलाना शुरू कर देना चाहिए. लेकिन इसके पीछे का कारण भी जान लीजिए. आपके क्यों का जवाब है कि रिपोर्ट्स दावा करती है कि एक उम्र के बाद पैरेंट्स के साथ सोने से बच्चों को कई तरह की समस्या घेर सकती हैं. जैसे कि मोटापा, थकान, कम ऊर्जा, अवसाद, और याददाश्त का कमजोर होना आदि .

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