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महँगे कपड़े नहीं बल्की इस गुण की वजह से लोग होते हैं आपसे आकर्षित

बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत बड़े लेखक किसी कार्यक्रम में जा रहे थे। उन्होंने बहुत ही साधारण कपड़े पहने हुए थे। उस लेखक के साथ कार्यक्रम में उनका एक दोस्त भी जा रहा था। लेखक को इतने साधारण कपड़े पहने हुए देखकर उनके दोस्त से रहा नहीं गया और उन्होंने बोला, ‘आप इतने बड़े लेखक हैं और एक बड़े कार्यक्रम में जा रहे हैं। कार्यक्रम में आये हुए लोह जब आपको इतने साधारण कपड़ों में देखेंगे तो आपके बारे में क्या सोचेंगे?’

जो मुझे नहीं जानते, उन्हें मेरे कपड़ों से नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव:

लेखक ने अपने दोस्त की बात सुनकर बड़े सहजता के साथ कहा, ‘जो लोग मुझे मेरे काम और मेरे साहित्य की वजह से जानते हैं, उन्हें मेरे कपड़ों से कोई लेना-देना नहीं है। जो लोग मुझे जानते ही नहीं हैं, उन्हें मेरे कपड़ों से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।‘ यह बात एकदम सही है कि कई बार लोग अपने आन्तरिक गुणों को देखने की बजाय बहरी दिखावे को ज्यादा महत्व देते हैं।

बात महँगे कपड़े की नहीं बल्कि है कपड़े पहनने के सलीके की:

जब हम किसी विशेष आयोजन में जाते हैं तो बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर और सज-संवरकर जाते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इंसान को बहरी सौन्दर्य के प्रति उदासीन रहना चाहिए? जब लोग हमारे कपड़ों के चुनाव और कपड़े पहनने के तरीके की तारीफ़ करते हैं तो ख़ुशी होती है। बात ज्यादा महँगे कपड़ों की नहीं बल्कि कपड़े पहनने के सलीके की हो रही है।

ज्यादातर हिस्सा सजने-संवरने में खर्च हो जायेगा तो जरुरी काम कब होगा:

यदि आप एक कलाकार या साहित्यकार हैं और आपने सलीके से कपड़े पहने हैं तो यह आपके व्यक्तित्व को निखारने का ही काम करता है। अच्छे कपड़ों को सलीके से पहनने में कोई बुराई नहीं होती है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह होता है कि हम अपने समय और संसाधनों का कैसे उपयोग करते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन का ज्यादातर हिस्सा सजने-संवरने में ही लगा देता है तो और जरुरी काम वह कब करेगा। जीवन में हार काम का अपना एक महत्व होता है।

आन्तरिक तौर पर सुलझने से आता है जीवन में संतुलन:

हमारी संस्कृति में सादा जीवन और उच्च विचार को प्रमुखता दी गयी है। सादगी अपने आप में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इससे व्यक्ति को जीवन में दुसरे महत्वपूर्ण काम करने के लिए काफी समय मिल जाता है। इसके लिए जरुरी है कि हम बहरी साज-सज्जा को अपने जीवन का मूल काम ना मान बैठें। व्यक्ति को अन्दर से सुलझा हुआ होना चाहिए। आन्तरिक तौर पर व्यक्ति जितना सुलझता जाता है, उसके जीवन में संतुलन उतना ही स्पष्ट होता जाता है।

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