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अमिताभ बच्चन से चार गुना बड़ा बंगला है तीस्ता सीतलवाड़ का, दंगों की आड़ में चलाती थी अपना एजेंड

गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीस्ता सीतलवाड़ की मुसीबतें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद गुजरात पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया जिसके बाद से वो पुलिस रिमांड में हैं। तीस्ता पर आरोप है कि वो दंगा पीड़ित जाकिया जाफरी की मदद करने की आड़ में अपना एजेंडा चला रही थीं। पुलिस के इस एक्शन के बाद तीस्ता सीतलवाड़ सुर्खियों में हैं लोग उनके बैकग्राउंड और परिवार के बारे में पूछ रहे हैं। आखिर कौन है वो तीस्ता सीतलवाड़ जो दंगों की आड़ में अपना एजेंडा चला रही थी।

मुंबई में जन्मी और पली-बढ़ी

तीस्ता सीतलवाड़ का जन्म मुंबई के एक रईस परिवार में हुआ था। उनके पिता, दादा और परदादा भारत के बड़े वकीलों में शुमार रहे हैं। तीस्ता के परिवार का पुश्तैनी बंगला मुंबई के जुहू में है। ये बंगला बालीवुड महानायक अमिताभ बच्चन के बंगले ‘जलसा’ के पास है। सीतलवाड़ के बंगले का नाम ‘निरांत’ है। तीस्ता सीतलवाड़ अपने इसी बाप-दादा के बंगले में अपने पति जावेद और दो बच्चों के साथ रहती हैं। तीस्ता अपनी पैदाइश से ही इस बंगले में रह रही हैं।

तीस्ता ने अपनी एक किताब में जिक्र किया है कि उनका बचपन अपने इसी बंगले में माता-पिता और एक बहन के साथ बीता है। उन्होंने लिखा है कि उनकी अपनी मां से ज्यादा नहीं बनती थी लेकिन पिता और दादा से उनकी खूब जमती थी।

बंगले की कीमत करीब 600 करोड़

सीतलवाड़ा का बंगला ‘निरांत’ अमिताभ के बंगले ‘जलसा’ से करीब 4 गुना अधिक बड़ा है। अमिताभ के बंगले की कीमत 125 करोड़ के करीब बताई जाती है जबकि तीस्ता सीलतवाड़ के बंगले की कीमत 600 करोड़ के आसपास है। बंगले का मुख्य द्वार काफी बड़ा है। गेट की एक तरफ ‘निरांत’ तो दूसरी तरफ ‘सीतलवाड़’ लिखा है। ये बंगला ही तीस्ता का स्थायी पता है और गुजरात दंगों को लेकर जो केस दर्ज किया गया है उसमें भी यही पता लिखा गया है। गुजरात पुलिस ने तीस्ता को इसी बंगले से हिरासत में लिया था।

मुंबई के रइसों में शामिल सीतलवाड़ परिवार

तीस्ता के पिता, दादा और परदादा के जमाने में सीतलवाड़ परिवार मुंबई के रईस पारसी परिवारों में गिना जाता था। तीस्ता सीतलवाड़ देश के पहले और सबसे लंबे समय तक अटॉर्नी जनरल रहे मोतीलाल चिमनलाल सीतलवाड़ की पोती हैं। उनके परदादा चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ को ब्रिटिश काल में ‘सर’ की उपाधि मिली थी। पंजाब के जलियांवालाबाग नरसंहार की जांच के लिए 1 अक्टूबर 1919 को जब लॉर्ड हंटर के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई तो चिमनलाल सीतलवाड़ को इसका मेंबर बनाया गया था।

तीस्ता के दादा मोतीलाल सीतलवाड़ से जवाहर लाल नेहरू काफी प्रभावित थे। 1947 में देश का पहला प्रधान मंत्री बनते ही पंडित जवाहरल लाल नेहरू ने मोतीलाल सीतलवाड़ को भारत का पहला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया। मोतीलाल सीतलवाड़ 1950 से 1963 तक सबसे लंबे वक्त तक इस पद पर रहे।

1961 में जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना हुई तो मोतीलाल सीतलवाड़ उसके भी पहले अध्यक्ष बनाए गए। मोतीलाल सीतलवाड़ के बेटे और तीस्ता सीतलवाड़ के पिता अतुल सीतलवाड़ देश के चंद बड़े वकीलों में शामिल थे। जहां तक तीस्ता का सवाल है उन्होंने जावेद से शादी की है और वे पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं। उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान अपने एनजीओ के तहत दंगा पीड़ितों की मदद का दावा किया लेकिन उनके इसी दावे को लेकर सवाल उठ गए और आज वो सलाखों के पीछे हैं।

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