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मुग़लों के हरम के अंदर ऐसे होता था औरत का जीवन, गैर-मर्द को देखने के लिए तरस जाती थी स्त्रियां

मुगल काल के बादशाहों के महल में हरम भी होता था। हरम एक ऐसा स्थान होता था जहां महल से जुड़ी स्त्रियां रहती थीं। इसमें बादशाह की बेगमों, शहजादियों के अलावा बड़ी तादाद में उनकी सेविकाएं रहती थीं। इसके अलावा बादशाह की सभी महिला रिश्तेदारों का भी वो आवास होता था। हरम में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा होती थी।

बादशाह के महिला रिश्तेदारों के अलावा बड़ी संख्या में रखैल, दासियां और हिजड़े भी यहां रहते थे। मुगल बादशाह जब अपने दुश्मन राजा को हराते थे तो हारे हुए राज परिवार की स्त्रियां भी बादशाह के हरम में पहुंच जाती थीं। मुगल काल में 16 साल की उम्र तक शहजादे(लड़के) भी हरम में ही रहते थे।

अकबर के समय हरम को व्यवस्थित रूप मिला

मुगल काल वैसे तो बाबर से शुरू हो जाता है, लेकिन बाबर और हिमायूं के शासनकाल में हरम तो था परन्तु पूर्ण रूप से व्यवस्थित नहीं था। हरम को एक पूर्ण रूप से व्यवस्थित स्वरूप अकबर के काल में मिला। जहांगीर के समय तो हरम अपने चरमोत्कर्ष पर था। औरंगजेब के समय हरम की व्यवस्था में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।

अकबर के हरम में 5000 महिलाएं

मुगल काल के लेखक अबुल फजल के मुताबिक अकबर के हरम में 5000 हजार महिलाएं थीं, जबकि बाबर और हिमायूं के समय ये संख्या केवल 300-400 थी।  कुछ विदेशी इतिहासकारों के अनुसार अकबर की तो 300 पत्नियां ही थीं, जो राजनीतिक संधियों और अस्थायी विवाह के माध्यम से पत्नी बनी थीं। बादशाह से जुड़ी हर खास महिला के लिए हरम में अलग-अलग कमरे बने होते थे।

अबुल फजल ने राजपूत राजा मान सिंह के महल में भी हरम होने का जिक्र किया है। उनके मुताबिक मान सिंह के हरम में 1500 स्त्रियां थी। मुगलों के शाही हरम आगरा, दिल्ली, फतेहपुर सिकरी और लाहौर में बनाए गए थे। इन हरम बादशाह और उसके खास अधिकारी टिकते थे। मुगलों ने अहमदाबाद, बहरानपुर, दौलताबाद, मांडू और श्रीनगर में भी मुगलों के हरम थे।

हरम की संचालन व्यवस्था

हरम को चलाने के लिए एक प्रशासनिक व्यवस्था बनाई गई थी। हरम के प्रशासन में शामिल सभी कर्मचारी या तो महिला थीं या हिजड़े थे। हरम कितना महत्वपूर्ण था इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि बादशाह भोजन करने और सोने के लिए हरम में ही जाता था। हरम के भोजन की जांच के लिए महिला कर्मचारी नियुक्त थीं। हरम में मुख्य दारोगा, खजांची और साधारण नौकर तक नियुक्त होते थे जिन्हें बाकायदा वेतन दिया जाता था।

हरम का सुरक्षा घेरा

हरम की सुरक्षा के कई घेरे थे। हरम के अंदर महिला सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति होती थी। उसके बाद का घेरा किन्नरों का था। किन्नरों के बाद राजपूतों को सुरक्षा सौंपी गई थी। सबसे बाहरी घेरे पर द्वारपाल मुगल सैना के जवान तैनात रहते थे।

हरम के अंदर का जीवन

हरम के अंदर रहने वाले लोगों के लिए काफी कठोर नियम बनाए गए थे। हरम में रहने वाली स्त्रियों को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। किसी जरूरी कार्य से बाहर जाना पड़े तो पूरे परदे में ही महिला बाहर जा सकती थी। इसी तरह हरम में बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित था। विशेष परिस्थितियों में अगर किसी को जाना पड़ता था तो सुरक्षा में तैनात हिजड़े उन्हें परदे में रखकर ही अंदर ले जाते थे। इटली के यात्री मनूची ने हरम में जाने के अपने संस्मरण को लिखा है। वो बताता है कि हरम की स्त्रियों के बीमार पड़ने पर उनको दवा देने के लिए वो कई बार हरम में गया था। इस दौरान हिजड़े उसे पर्दे में लेकर महिलाओं के पास ले जाते थे।

महिला और उसके बीच एक पर्दा होता था जिसमें हाथ डालकर वो महिलाओं की रोग को चेक करता था। इस दौरान कई महिलाएं उसके हाथ को पकड़ कर चूमती थीं और कुछ महिलाओं ने उसके हाथ को अपने स्तन तक ले जाती थीं। इस दौरान वो चुपचाप रहता था ताकि बाहर उसके साथ खड़े हिजड़ों को कई संदेह ना हो। मनूची के मुताबिक हरम की स्त्रियां बाहर के पुरुषों को देखने के लिए तरस जाती थीं, और कई बार बीमारी और दूसरे बहाने बनाकर गैर-मर्द को देखने और छूने की कोशिश करती थीं।

हरम में मनोरंजन के भरपूर साधन

चुंकि हरम में रहने वाली महिलाओं को बाहर जाने की अनुमति नहीं थी इसलिए उनके मनोरंजन की खास व्यवस्था की जाती थी। हरम में नृत्य और संगीत में निपुण महिलाएं अपनी कला का प्रदर्शन करती थीं। किताबें भी खूब पढ़ी जाती थीं।

हरम में स्त्रियों की दशा

हरम में रहने वाली स्त्रियां पूरी तरह बादशाह के आशीर्वाद पर अपना जीवन व्यतीत करती थीं। महिलाओं की स्थिति का निर्धारण बादशाह तय करता था। बादशाह की बेगमों में होड़ रहती थी कि कौन पहले बेटा पैदा करता है। बेटा पैदा करने वाली बेगम की दर्जा ऊंचा हो जाता था। हरम के अंदर आपसी जलन और प्रतिस्पर्धा में साजिशों को भी रचा जाता था।

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