
13 साल की नौकरी में करोड़पति बन गए दरोगा जी, रेड पड़ी तो थाना छोड़ भागे, छापेमारी में मिले…
पुलिस विभाग में नौकरी करने वालों के पास चोरी, लूट, गबन और दूसरे सभी अपराध में शामिल होने के अक्सर मामले सामने आते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि ऐसे अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है और पुलिसवाले के सामने ऐसे अपराधियों से मिलीभगत कर अपराध को और अधिक बढ़ा देने के मौके भी होते हैं। अक्सर कई पुलिसवाले लालच में आकर अपराधियों से मिल जाते हैं और अपराध को कई गुना अधिक बढ़ा देते हैं।
पुलिसवाले के अपराध का एक ऐसा ही मामला बिहार के पटना से सामने आया है। भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने पटना के रूपसपुर के थानेदार मधुसूदन के कई ठिकानों पर बुधवार को एक साथ छापेमारी की। रेड की खबर लगते ही थानेदार साहब थान छोड़ फरार हो गए।
पटना और औरंगाबाद के तीन ठिकानों पर छापेमारी जब खत्म हुई तब चौंकाने वाला खुलासा हुआ। थानेदार की पत्नी और मां के नाम पर पटना, औरंगाबाद और गया में कई भूखंडों के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। इसके अलावा थानेदार के विभिन्न ठिकानों पर तकरीबन 9 लाख कैश, 5 बैंक खाते और एलआईसी में निवेश से संबंधित कागजात भी जब्त किए गए हैं।
आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले को लेकर थानेदार के खिलाफ अपने थाने में केस दर्ज किया है। आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खां के स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार 2009 बैच के दारोगा और मौजूदा रूपसपुर के थानेदार मधुसूदन के विरुद्ध बालू माफियाओं से मिलकर अवैध तरीके से संपत्ति सांठगांठ के आरोप पाए गए थे।
सत्यापन के बाद मामला सही पाए जाने पर बुधवार को पटना के रुकनपुरा स्थित आनंद विहार कॉलोनी के अलावा रूपसपुर थाना औरंगाबाद के दाउदनगर थाना अंतर्गत चौरम गांव में उनके पैतृक आवास पर छापेमारी की गई।
आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों की मानें तो थानेदार और उसकी पत्नी के नाम पर अलग-अलग बैंक के अकाउंट पाए गए हैं। थानेदार के द्वारा विभिन्न व्यक्तियों के खातों में 20 लाख ट्रांसफर की बात सामने आई है। आर्थिक अपराध इकाई की टीम की मानें तो रूपसपुर से पहले मधुसूदन का पदस्थापन पटना जिले के मनेर थाने में था जहां बालू माफियाओं से सांठगांठ कर सरकारी राजस्व को भारी क्षति पहुंचाने का आरोप लगा था। गया जिले में भी इसकी पुष्टि रही है जहां बालू माफियाओं से सांठगांठ बताए जा रहे हैं।