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आखिर क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, आईये जानें पूरी कहानी…

इस बार पूरे देश में जन्माष्टमी का त्यौहार पंद्रह अगस्त से ठीक एक दिन पहले यानी कि 14 अगस्त को मनाया जाएगा. यह त्यौहार भगवान कृष्ण के जन्म लेने की ख़ुशी में मनाया जाता है. पुराणों की मानें तो कहा जाता है की कृष्ण भगवान ने भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अवतार लिया था. इसके बाद से ही इस दिन को लोग कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर मानाने लगे. कृष्ण भगवान और राधा को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस त्यौहार को देश-विदेश के लोग बहुत ही धूम-धाम और पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. janmashtami.

क्योँ मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व 

मामा कंस के अत्याचारों से परेशान होकर, उनके विनाश के लिए, भगवान कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्म लिया था. कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में आधी रात को हुआ था. मथुरा भगवान की जन्म-भूमि है, इसलिए इस त्यौहार को मथुरा में बहुत ही ज़्यादा धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. दूर-दूर से लोग मथुरा और वृन्दावन में जन्माष्टमी का पर्व देखने के लिए आते हैं. पूरे मथुरा के मंदिरों को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है, जिसकी वजह से हर तरफ रौशनी हो रौशनी दिखाई देती है. इतना ही नहीं, यहां के मंदिरों में कृष्ण भगवान को आप गोपियों संग रासलीला का आनंद लेते हुए भी देख सकते है. शास्त्रों के मुताबिक 5 हज़ार 243 साल पहले भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की भूमि पर हुआ था.

व्रत रखने का भी है महत्व

जन्माष्टमी के दिन बहुत सारे लोग व्रत भी रखते हैं. हिन्दू धर्म में इस दिन व्रत रखने का बहुत महत्व है. इस दिन अगर आप व्रत रखते हैं तो घर में सुख-समृधि आएगी और शांति बनी रहेगी. स्कंद पुराण की माने तो जो व्यक्ति सब जानते हुए भी इस दिन व्रत नहीं रखता, उसका जन्म जंगल में सांप के रूप में होता है. इसके विपरीत जो इस व्रत को पूरे विधि-विधान और आस्था के साथ रखता है, उसके घर में लक्ष्मी बनी रहती है और सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.

 

 

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