
‘मुस्लिम महिला नहीं चाहेगी पति 3 पत्नी लेकर घर आए’: हिमंता ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर पूर देश मे चर्चा जोरशोर से शुरू हो गई है। केंद्र की सरकार अब इसको जल्द से जल्द लागू करने को लेकर गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है। इसी बीच असम के मुख्यमंत्री हिंमता बिस्वा सरमा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड(UCC) पर कहा कि इसे हर कोई लागू होते देखना चाहता है और यह देश के समग्र विकास के लिए बेहद जरूर है।
यह मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा-हेमंता
हेमंता ने कहा कि तीन तलाक को खत्म करने के बाद अब यूनिफॉम सिविल कोड को लाना होगा। मुख्यमंत्री हिंमता ने कहा कि, आप किसी भी मुस्लिम महिला से बात कर के पूछ लें कोई महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 पत्नियों को लेकर घर आए। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मेरा मुद्दा नहीं है ये हर मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। और तीन तलाक को खत्म करने के बाद अब इसे लागू करना चाहिए।
हिंमता ने आगे कहा कि, राज्य में मुस्लिम एक धर्म है, हालांकि, संस्कृति और मूल के आधार पर दो अलग वर्ग हैं जिसमें से एक असम का मूल निवासी है और ये वर्ग चाहता है कि ये विस्थापित मुसलमानों के साथ ना मिल जाए जिसके लिए हम काम कर रहे हैं।
#WATCH | “Everybody wants UCC. No Muslim woman wants her husband to bring home 3 other wives. Ask any Muslim woman. UCC not my issue, it’s issue for all Muslim women. If they are to be given justice, after the scrapping of Triple Talaq, UCC will have to be brought,” says Assam CM pic.twitter.com/tdp2Y5J5vi
— ANI (@ANI) April 30, 2022
अमित शाह के बयान के बाद शुरू हुई चर्चा
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की बारी आ गई है। भोपाल में बीजेपी कार्यालय पर एक बैठक में अमित शाह ने कहा, ‘सीएए, राम मंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं। अब बारी कॉमन सिविल कोड की है।’ शाह ने उत्तराखंड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कॉमन सिविल कोड लागू किए जाने का भी जिक्र किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा है कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
उसके बाद यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि कॉमन सिविल कोड इस देश और यूपी के लिए जरूरी है और इस दिशा में राज्य सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। मौर्य ने कहा, ‘एक देश में एक कानून सबके लिए हो, इसकी जरूरत है। मैं समझता हूं कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग कानून की जरूरत नहीं है। जहां बीजेपी की सरकारें हैं, वहां भी और जहां गैर-बीजेपी सरकारें है वहां भी, अगर सबका साथ सबका विकास चाहिए तो कॉमन सिविल कोड जरूरी है।
दिल्ली HC ने ये कहा था
दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि समान नागरिक संहिता (UCC) को हकीकत में बदलने की जरूरत है। कोर्ट ने तब कहा था कि आर्टिकल 44 में जिस समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड की उम्मीद जताई गई है, अब उसे हकीकत में बदलना चाहिए, क्योंकि यह नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करेगा और अब यह मात्र आशा नहीं रहनी चाहिए।