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डोकलाम विवाद : चीन ने कहा – हम उत्तराखंड और कश्मीर में घुस जाएंगे, तब दिल्ली का क्या होगा?

बीजिंग – भारत ने डोकलाम विवाद को खत्म करने के लिए एक साथ दोनों देशों के सैनिकों को हटाना का सुझाव दिया था, जिसे खारिज करते हुए चीन ने मंगलवार 8 को कहा – ‘हम उत्तराखंड के कालापानी क्षेत्र या कश्मीर में घुस जाएंगे, तब नई दिल्ली क्या करेगी?’ चीनी मीडिया कि ओर से इस तरह कि बातें पहले भी लिखी जाती रही हैं, लेकिन यह पहली बार है जब किसी चीनी अधिकारी ने कश्मीर को लेकर इस तरह का बयान दिया है। xi jinping sees pm modi a powerful leader.

चीन की धमकी, भारत पीछे नहीं हटा तो युद्ध होगा  

चीनी अधिकारी के इस बयान के बाद रही सही कसर वहां के न्यूजपेपर ग्लोबल टाइम्स ने पूरी कर दी है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, ‘चीन भारत पर हमला नहीं करेगा’, ये कहकर भारतीय सुरक्षा एजेंसिया भारत सरकार को गुमराह कर रही हैं। मोदी सरकार को भी साल 1962 में नेहरू सरकार जैसे ही गुमराह किया जा रहा है। चीनी मीडिया ने तो यहां तक कह दिया है कि ये भारत के लिए आखिरी चेतावनी है।

अगर भारत अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाता, तो चीन वो कदम उठा सकता है, जिसकी भारत को उम्मीद नहीं है। ग्लोबल टाइम्स ने ये भी लिखा है कि चीन युद्ध नहीं चाहता, लेकिन, अगर भारतीय सैनिक चीनी जमीन पर मौजूद रहे, तो चीन भारत पर हमला भी कर सकता है। इस संबंध में ग्लोबल टाइम्स के एडिटर द्वारा एक वीडियो भी जारी किया है। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच विवाद को लगभग 50 दिन हो चुके हैं।

मोदी को बड़ी चुनौती मानते हैं जिनपिंग

भारत और चीन की जुबानी जंग के बीच अमेरिका के टॉप विशेषज्ञ बोनी ग्लेसर ने कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मानते हैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय हितों के लिए खड़े होने वाले नेता हैं। जिनपिंग को भी मालूम है कि मोदी चीन को रोकने वाले देशों के साथ मिलकर काम कोई बड़ा कदम उठाना चाहते हैं। जिनपिंग इस बात के लेकर चिंतित हैं।

आपको बता दें भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद 16 जून को उस वक्त शुरू हुआ था, जब भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। इसपर चीन ने कहा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है। चीन डोकलाम को अपने डोंगलांग रीजन का हिस्सा बताता है। चीन के सड़क बनाने से भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इस रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी सैन्य सुविधा हासिल होगी। इसलिए भारत इसका विरोध कर रहा है।

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