‘जय हिंद पापा’…शहीद पिता का शव देखकर बोली बिटिया तो छलक पड़े वहां खड़े लोगों के आंसू
भारत का एक और सपूत आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। जम्मू कश्मीर में तैनात सूबेदार श्रीओम पहलवान भारत माता की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार हरियाणा में उनके पैतृक गांव में किया गया। इस दौरान शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा।
उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए। सभी उनकी जय जयकार और अमर रहे के नार लगाते जा रहे थे। अंतिम संस्कार के दौरान उनकी बेटी भी वहां मौजूद थी। वो भी रोते हुए अपने पापा से जय हिंद बोली तो वहां खड़े लोगों के आंसू भी छलक उठे। हालांकि उन सभी को दुख से ज्यादा उनकी शहादत पर गर्व है।
शोपिया में जा रहे थे मोर्चा संभालने
शहीद सूबेदार श्रीओम जम्मू कश्मीर में तैनात थे। वो शोपिया में आतंकवादियों से हो रही मुठभेड़ में मोर्चा संभालने के लिए रवाना हुए थे। हालांकि इसी दौरान आतंकवादियों ने छिपकर उनकी गाड़ी के ड्राइवर को गोली मार दी। इस घटना में वाहन हादसे का शिकार हो गया। गाड़ी में बैठे सूबेदार इस हादसे में शहीद हो गए।
उनके शहीद होने की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक छा गया। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से उनके पैतृक गांव महाराणा लाया गया। यहां पर उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान वहां उनका परिवार भी मौजूद था। इसके अलावा जिस-जिस को भी खबर हुई, वो उनको श्रद्धांजलि देने पहुंचा।
बिटिया ने दी विदाई तो छलक पड़ आंसू
अपने पापा को अंति विदाई देने के लिए शहीद की बिटिया जयंती अपने भाई योगेश के साथ पहुंची थी। उसने पापा के पार्थिव शरीर को देखकर जैसे ही सेल्यूट कर जय हिंद बोला, वहां खड़े लोगों के आंसू छलक आए। इसके बाद सभी लोग ‘श्रीओम अमर रहें’ के नारे लगाने लगे। उनके बेटे योगेश ने भी अपने शहीद पिता को सेल्यूट किया।
इस दौरान उनके अंतिम दर्शन के लिए 10 किमी लंबी यात्रा निकाली गई। चरखी दादरी से निकली यात्रा उनके पैतृक गांव महाराणा तक निकली। इस दौरान जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसरों ने उनको श्रद्धांजलि दी। वहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। पूरा आकाश ‘भारत माता की जय’ और ‘श्रीओम अमर रहें’ के नारों से गूंज रहा था।
बेटा-बेटी भी सेना में जाने को तैयार
आतंकियों ने भले ही योगेश और जयंती से उनके पिता को छीन लिया लेकिन वो इन दोनों का हौसला नहीं छीन पाए। योगेश अभी 17 साल का है और इंटर में है। वो एनडीए के जरिए सेना में जाना चाहता है। वहीं शहीद की बेटी एमएससी कर रही है। वो भी सीडीएस के जरिए सेना में जाने की तैयारी कर रही है।
शहीद की पत्नी कविता भी अपना मन मजबूत कर चुकी हैं। उनका कहना है कि पति को खोने का गम तो जरूर है लेकिन वो शहीद हुए हैं, इस बात का गर्व भी है। कविता ने साफ कह दिया है कि वो अपने बेटे को सेना में ही भेजना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि शहीद होने से कुछ घंटों पहले ही उनके पति से फोन पर उनकी बात हुई थी।