
‘हम जब 2 थे तब नहीं डरे, अब 302 हैं फिर क्यों डरें’: अमित शाह ने AAP और TMC की बोलती बंद कर दी
दिल्ली MCD के एकीकरण के मुद्दे आम आदमी पार्टी BJP पर डरने का आरोप लगा रही है तो बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा के बीच TMC बीजेपी पर डरने का आरोप लगा रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने इन दोनों पार्टियों और दूसरे दलों के आरोपों का संसद में ऐसा जवाब दिया कि उनकी बोलती बंद हो गई।
TMC पर पलटवार
अमित शाह ने बुधवार को कहा कि बीजेपी अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों, नेतृत्व की लोकप्रियता और सरकार के प्रदर्शन के आधार पर चुनाव लड़ना और जीतना चाहती है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) समेत विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि हम विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा करके सत्ता हासिल नहीं करना चाहते। यह हमारी संस्कृति नहीं है।
दिल्ली सरकार ने तीनों निगमों के साथ सौतेला व्यवहार किया जिससे निगमों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
दिल्ली नगर निगम को फिर से एक बनाने का उद्देश्य है कि-
-संसाधन, सहकारितावादी व सामरिक दृष्टि से एक ही निगम दिल्ली की सिविक सेवाओं का ध्यान रखे व इसकी दक्षता व पारदर्शिता भी बढ़े। pic.twitter.com/VEWXV14CYT— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2022
AAP पर पलटवार
दिल्ली नगर निगम के चुनाव तत्काल नहीं कराने के पीछे हार का डर होने संबंधी विपक्षी सदस्यों के दावों पर शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में सरकार बनाई है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर छह महीने बाद दिल्ली नगर निगम के चुनाव होंगे तो विपक्षी दल क्यों डर रहे हैं। वे आज ही चुनाव कराने की बात क्यों कर रहे हैं?
तीनों निगमों के बीच संसाधनों व दायित्वों का बंटवारा भी सही से नहीं हुआ, एक निगम की आय हमेशा सरप्लस जबकि बाकि दो की जिम्मेदारी ज्यादा लेकिन आय कम है और संसाधनों की प्राप्ति व खर्चों में भी संतुलन नहीं रखा गया, इस कारण चुनकर आए जनप्रतिनिधियों को निगम चलाने में बहुत तकलीफ होती है। pic.twitter.com/j4pBsfk30L
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2022
लोकसभा में ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों का कहना था कि भाजपा हर जगह सत्ता में आना चाहती है, तो उनके लिए जवाब है कि ‘हम चाहते हैं कि सभी जगह हमारी सरकार बने और इसलिये तो चुनाव लड़ते हैं।’
दिल्ली सरकार ने आर्थिक रूप से दिल्ली नगर निगम का गला घोटने का काम किया।
दिल्ली नगर निगम का बकाया देने के लिए दिल्ली सरकार के पास पैसे नहीं हैं लेकिन करोड़ों के विज्ञापन व कार्यकर्ताओं की असंवैधानिक नियुक्तियों के लिए पैसे हैं।
दिल्ली की जनता इसका हिसाब जरुर मांगेगी। pic.twitter.com/NmFQmr0LND
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2022
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘आप (राय) क्यों गोवा गए थे। अब त्रिपुरा क्यों जा रहे हैं। आपका यह अधिकार है, हर पार्टी को चुनाव में उतरना चाहिए। हम सभी जगह चुनाव लड़ना चाहते हैं और अपनी विचारधारा, कार्यक्रमों, नेतृत्व की लोकप्रियता और सरकार के प्रदर्शन के आधार पर जीतना चाहते हैं।’
जो कह रहे हैं कि हम हार के डर से चुनाव नहीं करा रहे, वो खुद डरे हुए हैं…डरना हमारा स्वभाव नहीं है। जीत का इतना विश्वास है तो 6 माह बाद चुनाव से डर कैसा।
कांग्रेस की प्रधानमंत्री ने रातों-रात नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार छिनकर देश पर जो क्रूर आपातकाल थोपा उसे डर कहते हैं। pic.twitter.com/K0ZcoZGLOs
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2022
विपक्षी कार्यकर्ताओं की हत्या कर सत्ता हथियाना हमारी संस्कृति नहीं है।
हम अपनी विचारधारा, अपने नेता की लोकप्रियता व सरकार की उपलब्धियों के आधार पर हर जगह चुनाव लड़कर जीतना चाहते हैं।
परिवार के आधार पर पार्टी चलाने वालों को लोकतंत्र पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। pic.twitter.com/3Gx3HpeR53
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2022
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल यहां पर लोकतंत्र की बात कर रहे हैं। शाह ने कहा, ‘परिवारों के आधार पर पार्टी चलाने वाले और अपने दलों के भीतर चुनाव नहीं करा पाने वाले भाजपा को लोकतंत्र की सीख नहीं दें। पहले अपने कार्यालय, अपनी पार्टी के भीतर चुनाव करा लें, फिर देश की चिंता करें।’
‘हम कभी नहीं डरते’
शाह ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी के किसी कार्यकर्ता को डरने की जरूरत नहीं है। हमने चार राज्यों में सरकार बनाई है। आगे भी सभी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जीत का भरोसा है।’ शाह ने भाजपा के शुरुआती दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘हम तो जब 2 थे तब भी नहीं डरते थे, अब 302 हैं तब क्यों डरें।’ उन्होंने कहा, ‘अहंकार की कोई बात नहीं है। जनता का फैसला लोकतंत्र में सभी को स्वीकारना चाहिए। डर का सवाल नहीं है।