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अनूठी शादी: दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की होती है पूजा, एक रात बाद अलग होते हैं दूल्हा-दुल्हन

भारत विशाल परंपराओं और रीतिरिवाज का देश है। भारत के कुछ क्षेत्रों में ऐसी अनूठी प्रथा मिलती है कि लोग दांतो तले उंगली दबा लें। भारत के एक इलाके में शादी से जुड़ी एक ऐसी अनूठी परंपरा है जिसमें दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है और फिर सुहागरात के बाद दोनों अलग हो जाते हैं। होली के समय होने वाली इस अनूठी शादी की परंपरा में कई गांव के हजारों लोग शामिल होते हैं। इस अनोखी शादी के जरिए समाज में सेक्स एजुकेशन देने की मंशा भी रहती है।

दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, होली पर राजस्थान के पाली में एक ऐसी अजीबो गरीब शादी होती है, जिसमें समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए लोग दूल्हा दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं।

दूल्हा-दुल्हन सुहागरात के बाद एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। इस अनूठी शादी में पूरा गांव शामिल होता हैं और झूमकर नाचते हैं। शादी धूम-धाम से होती है। इतना ही नहीं बारात में गालियां गाई जाती हैं, जिन पर लोग जमकर डांस करते हैं. महिलाएं भी जमकर गालियां गाती हैं।

मौजीराम देव और मौजनी देवी की शादी

जानकारी के मुताबिक, यह अनोखी शादी पाली से करीब 25 किलोमीटर दूर एक कस्बे में होती है। इस गांव में मौजीराम जी और मौजनी देवी का प्राचीन मंदिर है। लोग इन्हें शिव और माता पार्वती का अवतार मानते हैं।

इलाके की परंपरा और मान्यता के अनुसार होली के दिन  मौजीराम जी औऱ मौजनी देवी की धूमधाम से ये अनोखी शादी की जाती है। शादी के लिए एक महीने पहले से गांव में तैयारी शुरू हो जाती है। बकायदा कार्ड बांटे जाते हैं, बुजुर्गों को पीले चावल दिए जाते हैं। जो गांव में नहीं है उन्हें डिटिजल निमंत्रण भेजा जाता है।

इस अनूठे विवाह के पीछे ये मान्यता

कहा जाता है कि इस शादी के पीछे लोगों की पूरी मान्यता है। इस समारोह में निसंतान दंपती शिव पार्वती के प्रतीक की पूजा करते हैं। लोगों का कहना है कि मौजीराम जी और मौजनी देवी की धूमधाम से शादी करने से गांव में सुख समृद्धि आती है।

सेक्स एजुकेशन भी मकसद

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ग्रामीणों का कहना है कि इस शादी के जरिए लोगों को सेक्स एजुकेशन भी दिया जाता है। पहले बच्चों को सेक्स से जुड़ी जानकारियां देना काफी मुश्किल होता था। ऐसे में इस अनूठी शादी की परंपरा के जरिए उन्हें काफी जानकारी मिल जाती थी।

परिवार की शादी जैसा होता है माहौल

ग्रामीणों का कहना है कि मौजीराम और मौजनी की शादी की तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती है। जो लोग गांव के बाहर हैं उन्हें डिजिटल न्यौता भेजा जाता है। शादी की हर रस्म निभाई जाती है। दोनों की प्रतिमाओं का रंग, इत्र और मेहंदी से सजाया जाता है। लोगों का कहना है कि इस आयोजन से गांव के लोग एकदूसरे से जुड़ते हैं। समारोह के दिन पहले लोग मंदिर में जुटते हैं। प्रतिमा पर नारियल चढ़ाकर आरती और पूजा अर्चना की जाती है। गालियों के शोर के साथ बिंदौली निकाली जाती है और लोगों को मौजीराम की कथा भी सुनाई जाती है।

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