अध्यात्म

संत के हाथ लगा सोने का सिक्का, बोला किसी जरूरतमंद को दूंगा, फिर राजा को दे दिया.. जाने क्यों?

लालच बड़ी बुरी चीज होती है। ये बात हमने कई बार सुनी है। लेकिन बहुत कम लोगों को इसका एहसास होता है। वे बेहद लालची होते हैं, लेकिन उन्हें इसकी भनक भी नहीं होती है। इस लालच के चलते वे कई बार गलत और अनुचित काम भी कर देते हैं। चलिए इस बात को एक कहानी के माध्यम से समझे।

संत ने राजा को दिया सोने का सिक्का, लेकिन क्यों?

एक समय की बात है। एक बार एक संत कहीं जा रहा था। उसे रास्ते में एक सोने का सिक्का मिला। उसने ये सिक्का उठा लिया और अपने शिष्यों से बोला “ये सोने का सिक्का मेरे किसी काम का नहीं है। मैं इसे किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दे दूंगा।”

कुछ समय बाद संत को रास्ते में अपने राज्य का राजा और उसकी विशाल सेना मिली। राजा इस सेना को लेकर पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने जा रहा था। यह देख संत सैनिकों के पास गया और राजा से मिलने की इच्छा जताई। राजा भी संत से मिलने के लिए रथ से उतरकर नीचे आ गए।

राजा ने जैसे ही संत को प्रणाम किया तो संत ने उनके हाथ में सोने का सिक्का थमा दिया। सोने का सिक्का देख राजा कन्फ्यूज हो गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आया। उन्होंने संत से पूछा “आप ये सिक्का मुझे क्यों दे रहे हैं?” इस पर संत बोला “मुझे ये सिक्का कल रास्ते में मिला था। मैंने सोचा इसे किसी सबसे जरूरतमंद व्यक्ति को दूंगा।”

यह सुन राजा बोला “बाबा आपको गलतफहमी हुई है। मैं कोई जरूरतमंद नहीं हूं। मैं एक राजा हूं। मेरे पास बहुत धन दौलत है।” इस पर संत बोला “हे राजन, आपके पास बहुत धन-संपत्ति है, बड़ा राज्य है, फिर भी आप दूसरे राज्यों पर अधिकार करने हेतु विशाल सेना लेकर आक्रमण करने जा रहे हैं। आपके लालच की कोई सीमा नहीं है।”

संत आगे बोला “आप इतने सम्पन्न होने के बावजूद और राज्य हासिल करना चाहते हैं। इसलिए मेरी नजर में आपसे अधिक जरूरतमंद कोई और दूसरा व्यक्ति नहीं है। अतः आप ही इस सिक्के को रखिए। आप इसके हकदार हैं।”

संत की बात सुन राजा की आँखें खुल गई। वह बोला “आप ने मुझे मेरी गलती का एहसास करवा दिया। मैं सिर्फ अपने लालच के चलते ही दूसरे राज्य पर हमला करने जा रहा था। मुझे माफ कर दीजिए।” यह बोल राजा ने आक्रमण का निर्णय बदल दिया और सेना को लेकर अपने महल वापस चला गया।

कहानी की सीख

लालच का कोई अंत नहीं होता है। यदि धनवान होने के बावजूद कोई शख्स धन को हासिल न कर पाए तो वह हमेशा दुखी और अशांत रहेगा। इसलिए लालच से दूर रहने में ही भलाई है।

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