अध्यात्म

पिता ने कठिनाइयों से बेटे को पढ़ाकर बड़ा आदमी बनाया, लेकिन जब उसके ऑफिस गए तो रोने लगे, जाने क्यों?

एक पिता खुद तकलीफ में रहता है, लेकिन अपनी संतान को अच्छी शिक्षा और लाइफ प्रदान करता है। पिता की बदौलत ही बेटा बड़ा होकर कुछ करने के काबिल बनता है। लेकिन कई बार बेटे बड़ी पोस्ट पर जाने के बाद बदल जाते हैं। वह पिता की सेवा करना तो दूर उन्हें सम्मान तक नहीं देते हैं। बल्कि अपमानित करते हैं।

यह चीज गलत है। यदि आप अपने पेरेंट्स के साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो भविष्य में आपकी संतान भी आपके साथ ऐसे ही पेश आएगी। एक बेटे के लिए उसका पिता कितना स्पेशल होता है इस बात को हम एक कहानी से समझते हैं।

जब पिता ने पूछा- कौन है दुनिया में सबसे ताकतवर?

एक समय की बात है। एक पिता ने अपने बेटे की अच्छी परवरिश कर उसे खूब पढ़ाया, लिखाया और एक सफल इंसान बनाया। पिता के मदद से बेटा भी बड़ा होकर एक बड़ी कंपनी का अधिकारी बन गया। उसके नीचे हजारों लोग काम करने लगे।

एक दिन पिता की इच्छा हुई की वह बेटे के ऑफिस जाकर उससे मिले। जब वे वहाँ गए तो देखा की उसका बेटा एक शानदार ऑफिस में बैठा है और कई लोग उसके हाथ के नीचे काम कर रहे हैं। यह देख पिता का सीना गर्व से फूल गया।

पिता बेटे के ऑफिस में गए और उसके पीछे कंधे पर हाथ रख खड़े हो गए। उन्होंने पूछा ” इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है?” इस पर बेटे ने पिता से हँसते हुए कहा “मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी।” पिता को इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। उसे लगा बेटा गर्व से कहेगा की आप संसार के सबसे शक्तिशाली इंसान है पिताजी। आप ने ही मुझे इस काबिल बनाया है।

बेटे का जवाब सुन पिता की आँखें नं हो गई। वे उसके ऑफिस से जाने लगे। लेकिन जाने से पहले गेट पर से उन्होंने मुड़कर फिर पूछा ” एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है?” इस पर बेटे ने कहा ” पिताजी आप हैं, इस दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान।” यह सुन पिता हैरान रह गए।

पिता ने कहा “थोड़ी देर पहले तो तुम खुद को ही दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान बता रहे थे, लेकिन अब मुझे बता रहे हो?” इस पर बेटा बोला “पिताजी तब प का हाथ मेरे कंधे पर था। अब जिस बेटे के ऊपर पिता का हाथ हो वो तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना।” यह सुन पिता की आँखे भर आई और उन्होंने बेटे कू कस के गले से लगा लिया।

कहानी की सीख

हर बेटे की काबमएबी के पीछे उसके पिता का हाथ होता है। इसलिए यह बेटे का फर्ज है की सफल होने के बाद वह पिता की सेवा करें, उन्हें मान सम्मान दे।

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