
आमने-सामने से टकराने जा रही थीं 2 फुल स्पीड ट्रेनें, एक में सवार थे रेलमंत्री, जानें फिर क्या हुआ?
भारतीय रेलवे ने आज एक ऐसा टेस्टिंग एक्सपेरिमेंट किया जिसे जानकर एक बार दिल दहल जाएगा। सिकंदराबाद में शुक्रवार को फुल स्पीड से दो ट्रेनों को एक ही ट्रैक पर ला दिया गया इसमें एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे तो दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन समेत अन्य बड़े अधिकारी सवार थे। इन दो फुल स्पीड ट्रेनों की टक्कर होती इससे पहले ही कवच प्रणाली ने इस टक्कर को रोक दिया, जिससे सब सुरक्षित रहे। रेल मंत्री ने अश्विनी वैष्णव ने इस सफल परीक्षण के कई वीडियोज ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है।
टक्कर से 380 मीटर पहले रुकीं ट्रेनें
जिस ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे, वह ट्रेन सामने से आ रही ट्रेन से 380 मीटर पहले ही रुक गई। कवच तकनीक की वजह से ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग गए। रेल मंत्री द्वारा एक मिनट का वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें लोकोपायलट वाले केबिन में रेल मंत्री समेत अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, ”रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है। कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया।”
Rear-end collision testing is successful.
Kavach automatically stopped the Loco before 380m of other Loco at the front.#BharatKaKavach pic.twitter.com/GNL7DJZL9F— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022
‘कवच’ का हुआ परीक्षण
इसके जरिए से रेलवे देसी तकनीक ‘कवच’ का परीक्षण किया। ‘कवच’ देश की ऐसी तकनीक है, जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि इसे लागू किए जाने के बाद से दो ट्रेनों की टक्कर नहीं होगी। यह इस तरह की दुनिया की सबसे सस्ती तकनीक है।
As the gate approaches, Kavach automatically initiates whistling without any intervention from the driver.
Auto whistle test is done successfully. 👏👏#BharatKaKavach pic.twitter.com/02WrSJ1MYl— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022
जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य
रेलवे को ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है। कवच को एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत की मिसाल- भारत में बनी ‘कवच’ टेक्नोलॉजी।
Successfully tested head-on collision. #BharatKaKavach pic.twitter.com/w66hMw4d5u— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती दिखाई देती है, तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती हैं। उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद इसे चलाने में 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा, जबकि दुनिया भर में ऐसी तकनीक के लिए करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
ऐसे काम करती है तकनीकी
इस तकनीक में जब ऐसे सिग्नल से ट्रेन गुजरती है, जहां से गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इसके जरिए खतरे वाला सिग्नल भेजा जाता है। लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल साबित होता है तो फिर ‘कवच’ तकनीक के जरिए से अपने आप ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं और किसी भी एक्सीडेंट से ट्रेन बच जाती है।
अधिकारी ने बताया कि यह तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है। साथ ही यह SIL-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) की भी पुष्टि करता है जोकि सेफ्टी सर्टिफिकेशन का सबसे बड़ा स्तर है।
बता दें कि साल 2022 के केंद्रीय बजट में कवच तकनीक को लेकर घोषणा की गई थी। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत दो हजार किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क को कवच तकनीक के अंदर लाया जाएगा। अब तक, दक्षिण मध्य रेलवे की चल रही परियोजनाओं में कवच को 1098 किमी से अधिक मार्ग और 65 इंजनों पर लगाया जा चुका। इसके अलावा, कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा कॉरिडोर पर लागू करने की योजना है, जिसका कुल रूट लगभग 3000 किमी है।