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यूक्रेन में भी पाकिस्तान बना दुश्मन नंबर 1, भारत के बच्चों से लूट-पाट कर रहे हैं पाकिस्तानी

दुनिया के दो बड़े देशों रूस और यूक्रेन के बीच जंग लगातार जारी है। कई बार अपील करने के बाद भी रूस के हमले नहीं रुक रहे हैं। इस जंग में सबसे बड़ी मुसीबत भारतीय छात्र-छात्राओं के लिए है जो गेहूं में घुन की तरह पिस रहे हैं। यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए बच्चे अब वहां फंस गए हैं और निकल ही नहीं पा रहे हैं।

भारतीय बच्चों को वहां रूस की गोलीबारी ही खतरा नहीं है। वहां पाकिस्तान भी दुश्मन नंबर 1 की भूमिका में आ गया है। जी हां यूक्रेन में भी पाकिस्तानी भारत के छात्र-छात्राओं को नहीं छोड़ रहे हैं। वे उनसे लूट-पाट कर रहे हैं और उनका सामान छीनकर मारपीट तक कर रहे हैं। इस लूटपाट में उनका साथ नाइजीरियन भी दे रहे हैं।

पूरे शहर में कर्फ्यू, कैसे निकलें

भारत ने वहां फंसे छात्रों को निकालने के लिए मिशन गंगा चला हुआ है। इस मिशन के तहत चार मंत्रियों को भी यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जा चुका है। भारतीय दूतावास का कहना है कि छात्र किसी तरह बॉर्डर तक पहुंचे तो उनकी मदद होगी। वहीं फंसे हुए भारतीय बच्चों का कहना है कि शहरों में कर्फ्यू लगा हुआ है। बाहर देखते ही गोली मारने के आदेश हैं। ऐसे में वो बॉर्डर तक कैसे पहुंचे।

बॉर्डर पर पाकिस्तानी कर रहे लूट-पाट

भारतीय छात्र-छात्राओं को किसी तरह भी बॉर्डर तक पहुंचने के निर्देश हैं। इस वजह से बड़ी संख्या में भारतीय बच्चे परेशानियां झेलते हुए सीमा तक पहुंचे हैं लेकिन अब वे वहां नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। सीमा पर पाकिस्तान के लोग नाइजीरियन्स के साथ मिलकर भारतीय बच्चों को टॉर्चर कर रहे हैं। वो उनसे मारपीट, डरा धमकाकर उनका सामान लूट रहे हैं।

कीव में कर्फ्यू हटने पर भारतीय दूतावास ने ट्रेन के जरिए पश्चिमी हिस्से में पहुंचने की राय दी। इसके बाद बच्चे वहां पहुंचने के लिए घरों से निकले लेकिन स्टेशन पर उनको ट्रेनें ही नहीं मिलीं। इसके बाद ज्यादातर तो निराश होकर वापस लौट आए लेकिन कुछ धक्का-मुक्की कर ट्रेनों में चढ़ने में कामयाब हो गए। अब उनको लवीव शहर की ओर आना है।

कोई पैदल तो कोई लिफ्ट मांगकर पहुंच रहा बॉर्डर

यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए हुए भारतीय बच्चे बहुत बड़ी मुसीबत में हैं। वे जिन घरों में रह रहे हैं, वहां भी किसी समय हमला हो सकता है। ऐसे में वे सुरक्षित निकलना चाहते हैं। इसी वजह से कोई पैदल ही कई किलोमीटर की यात्रा कर बॉर्डर के लिए निकल पड़ा है तो कोई लिफ्ट मांगकर सफर तय कर रहा है। रूसी हमलों से बचने के लिए छात्रों ने हाथों से तिरंगा बनाया है और उसी को ढाल बनाकर सफर कर रहे हैं।

आलम ये है कि बच्चों के पास खाने और पीने तक का सामान नहीं है। कुछ छात्राओं ने बताया कि उन्होंने बिस्किट खाकर कई किमी का सफर तय किया। यहां कहीं खाना नहीं मिल रहा है। वहीं पीने के पानी तक को वे लोग तरस रहे हैं। हालांकि मोदी सरकार ने दावा किया है कि कीव शहर में अब कोई भारतीय छात्र मौजूद नहीं है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में छात्र बॉर्डर पर मौजूद हैं। सीमा पर भी लंबी कतारें लगी हुई हैं जिनको वीजा मिल रहा है, वही सीमा पार कर पा रहा है।

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