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यूएन में भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहा रूस: जानिए संकट के वो दौर जब भारत को मिला रूस का समर्थन

भारत के साथ यूएन मेँ मजबूती से खड़े रहने वाले रूस का भारत ने भी अब साथ दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में तीन दिन में दूसरी बार रूस के खिलाफ लाए प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत ने दूरी बना ली। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर से लेकर गोवा तक के मसले पर रूस ने भारत का साथ दिया है।

रूस और यूक्रेन की जंग में भारत की अब तक की भूमिका तटस्थ रही है। तीन दिन में दूसरी बार संयुक्त राष्ट्र में भारत ने रूस के खिलाफ वोटिंग से दूरी बना ली। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने यूक्रेन संकट पर आपातकालीन सत्र बुलाया। इससे पहले शुक्रवार को भी यूक्रेन से रूस की सेना वापसी को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। रूस के खिलाफ लाए गए दोनों प्रस्तावों पर वोटिंग से भारत दूर हो गया।

भारत और रूस के संबंध बहुत पुराने हैं। दोनों देश कई मौकों पर एक-दूसरे का समर्थन करते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी जब-जब भारत किसी मुद्दे पर घिरा है तो रूस ने ही उसका साथ दिया है। अब तक रूस ने भारत के समर्थन में 4 बार वीटो पावर (Veto Power) का इस्तेमाल किया है

1957 में कश्मीर मुद्दे पर किया समर्थन

– सोवियत संघ (USSR) के तत्कालीन नेता निकिता ख्रुश्चेव जब 1955 में भारत दौरे पर आए थे तो उन्होंने कहा था कि मास्को बस ‘सीमा पार’ है, और कश्मीर मामले में कोई भी परेशानी होने पर उसे बस हमें बताना है।

– 1957 में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव दिया और मांग की कि कश्मीर में डिमिलिटराइज के लिए संयुक्त राष्ट्र की सेना उतारनी चाहिए। उस समय USSR ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया।

1961 में गोवा मुद्दे पर किया समर्थन

– स्वतंत्रता के बाद भी करीब 14 साल तक गोवा आजाद नहीं हो सका था। वहां 1961 तक पुर्तगालियों का ही कब्जा था। गोवा की आजादी के लिए लिए प्रदर्शन हो रहे थे। पुर्तगाल ने उस समय UNSC को एक पत्र लिखा और इसे अपना हिस्सा बताने की कोशिश की।

– रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय निकिता ख्रुश्चेव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक टेलीग्राम भेजा और गोवा में भारत की कार्रवाई को सही ठहराया।

– इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पुर्तगाल एक प्रस्ताव लेकर आया और मांग की कि भारत को गोवा से अपनी सेना वापस लेनी चाहिए। इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन दिया लेकिन सोवियत संघ (USSR)  ने वीटो लगाकर प्रस्ताव को गिरा दिया।

– माना जाता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में USSR के इस समर्थन से भारत को मजबूती मिली और आखिरकार 19 दिसंबर 1961 को गोवा आजाद हुआ।

1961 में भारत-पाकिस्तान संबंध का मुद्दा

– 1962 में USSR ने 100वीं बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया और इस बार भी भारत के समर्थन में. दरअसल, UNSC में आयरलैंड एक प्रस्ताव लेकर आया, जिसमें भारत-पाकिस्तान से बातचीत से मसला सुलझाने की अपील की गई थी, किसी तरह की जंग का विरोध किया गया था।

– इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के 7 सदस्यों ने समर्थन दिया, जिनमें से अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन स्थायी सदस्य थे। भारत ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। उस समय USSR ने फिर वीटो इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया।

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1971 में कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन

– पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश में लगा है। 1965 के युद्ध के बाद भी पाकिस्तान ने कई बार इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाया।

– हालांकि, 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश की मुक्ति को लेकर युद्ध हो रहा था, तब कश्मीर मुद्दा फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आया। उस समय फिर USSR ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया।

– माना जाता है कि USSR के उस वीटो की मदद से ही कश्मीर मुद्दा कभी अंतरराष्ट्रीय नहीं बन पाया और हमेशा भारत-पाकिस्तान का मुद्दा बना रहा।

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