बॉलीवुड

किन्नर बनकर मचाया धमाल, 25 फिल्मों में बने पुलिसकर्मी, लेकिन गुमनामी में चली गई इस एक्टर की जान

हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक से बढ़कर एक खलनायक हुए है. प्राण, अमरीश पुरी, अमजद खान, डैनी डेंग्जोंग्पा, प्रेम चोपड़ा, रंजीत, गुलशन ग्रोवर, मुकेश ऋषि, रजा मुराद, कुलभूषण खरबंदा सहित कितने ही अभिनेताओं ने बड़े पर्दे पर खलनायकों की भूमिकाएं अदा की और दर्शकों का दिल जीत लिया. इसी सूची में एक नाम सदाशिव अमरापुरकर भी आता है.

sadashiv amrapurkar

सदाशिव अमरापुरकर भी हिंदी सिनेमा के एक दिग्गज़ अभिनेता थे. सदाशिव अमरापुरकर ने हिंदी सिनेमा में ढेरों फिल्मों में काम किया और अपनी एक ख़ास एवं अलग पहचान बनाई. 90 के दशक में सदाशिव हिंदी सिनेमा में काफी साक्रिय रहे और बेहद लोकप्रिय हुए. आइए आज आपसे इस दिग्गज़ कलाकार के बारे में कुछ बातचीत कर लेते हैं.

sadashiv amrapurkar

सदाशिव अमरापुरकर आज इस दुनिया में नहीं है हालांकि उनकी चर्चा होना लाजिमी है. वे हिंदी सिनेमा के एक जाने-माने कलाकार रहे हैं. हिंदी सिनेमा के बड़े-बड़े दिग्गज़ों के साथ उन्होंने काम किया है. हमेशा बड़े पर्दे पर वे नकारात्मक किरदार में ही नज़र आए. सदाशिव का जन्म 11 मई 1950 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था.

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सदाशिव ने बड़े पर्दे पर खलनायक के अवतार में कई बार दर्शकों का दिल जीता. उन्हें जो भी रोल दिया जाता था वे उसे बड़ी शिद्दत से अदा करते थे और दर्शकों के दिलों पर एक गहरी छाप छोड़ देते थे. उनके कई किरदार आज भी फैंस को अच्छे से याद है. एक फिल्म में उन्होंने ‘काला नाग’ नाम के विलेन का रोल निभाया था फिर वे इसी नाम से पहचाने जाने लगे. जबकि उनका एक फिल्म में ‘इंस्पेक्टर गोडबोले’ का रोल भी चर्चाओं में रहा.

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सदाशिव अमरापुरकर का पूरा नाम सदाशिव अमरापुरकर दत्ताराय है. सदाशिव को अभिनय से इतना लगाव था कि जब वे स्कूल में थे तब ही वे एक्टिंग करने लगे थे. सदाशिव ने इतिहास में ‘मास्टर डिग्री’ की. फिर पूरी तरह से सिनेमा में ही करियर बनाने का फ़ैसला लिया.

sadashiv amrapurkar

सबसे पहले अभिनेता ने एक्टिंग की बारीकियों को सीखने के लिए थिएटर जॉइन किया. इसके बाद साल 1983 में वो मौका आया जब उनकी किस्मत चमकने वाली थी. इस दौरान उनकी पहली फिल्म ‘अर्ध सत्य’ रिलीज हुई.

अपनी पहली ही फिल्म से सदाशिव ने सभी को यह बता दिया था कि वे आगे अभिनय में बड़ा नाम करेंगे. ‘अर्ध सत्य’ में अपने बेहतरीन काम के लिए सदाशिव को ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ के फ़िल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

बड़े पर्दे पर बने किन्नर…

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साल 1991 में आई सुपरहिट फिल्म ‘सड़क’ के लिए भी सदाशिव ने खूब वाहवाही लूटी. इस फिल्म के लिए उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ खलनायक’ का फ़िल्मफेयर पुरस्कार प्रदान किया. सदाशिव ने ट्रांसजेंडर महारानी का रोल अदा कर अपनी ख़ास जगह बना ली. ‘सड़क’ का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और इसमें संजय दत्त एवं पूजा भट्ट अहम रोल में थे.

25 फिल्मों में बने पुलिसकर्मी…

sadashiv amrapurkar

बड़े पर्दे पर सदाशिव पुलिसकर्मी के किरदार में भी खूब पसंद किए गए. गौरतलब है कि उन्होंने 25 से भी ज्यादा फिल्मों में पुलिसकर्मी की भूमिका निभाई थी.

क्रिकेट के भी थे शौकीन, ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ में खेलें…

सदाशिव को अभिनय का तो शौक था ही वहीं वे क्रिकेट के भी बड़े शौकीन थे. सदाशिव ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व भी कर चुके थे.

64 साल की उम्र में मिली दर्दनाक मौत…

sadashiv amrapurkar

हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन फ़िल्में देने वाले सदाशिव आख़िरी बार साल 2013 में फ़िल्मी पर्दे पर नज़र आए थे. इस दौरान उनकी फिल्म ‘बॉम्बे टॉकीज़’ प्रदर्शित हुई थी. वहीं साल 2014 में सदाशिव ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. उन्हें फेफड़ों में सूजन और संक्रमण था. इसके चलते उनका 3 नवंबर, 2014 को निधन हो गया था.

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