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जब बच्चे को मरा समझ कर भाग गए घरवाले, 6 महीने के बच्चे के लिए फरिश्ता बनकर आ गये ये डॉक्टर

पैसे की किल्लत आदमी को कितना संवेदनहीन बना देती है, ये ताजनगरी आगरा में देखने को मिला। एक परिवार अपने 6 महीने के बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा था, जब बच्चे की तबियत ज्यादा बिगड़ी और वो वेंटिलेटर पर चला गया तो घरवालों को लगा कि बच्चा मर गया है, और वो चुपके से अस्पताल में बच्चे को छोड़कर निकल गए, लेकिन तब अस्पताल के डॉक्टर कैसे फरिश्ता बनकर बच्चे के सामने आ गए आपको आगे बताते हैं-

आगरा के सिनर्जी अस्पताल की घटना

 प्राप्त जानकारी के अनुसार सिकंदरा थाना क्षेत्र के सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल में इटावा के जैनई गांव निवासी रंजीत सिंह अपने 6 महीने के बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। बच्चे को बुखार, उल्टी और दस्त के साथ खून आने की शिकायत थी। जिसके लिए हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज करा रहे थे।

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हॉस्पिटल के डॉक्टर रनवीर त्यागी के अनुसार बच्चे की हालत बिगड़ने पर 20 जनवरी को उसे वेंटिलेटर पर रखकर इलाज किया जा रहा था। लेकिन इसी बीच बच्चे के परिजन और रिश्तेदार उसे मरा हुआ समझकर दोपहर को बिना बताए हॉस्पिटल से रफूचक्कर हो गए।

अस्पताल ने उठाया ये कदम

शुक्रवार सुबह तक बच्चे के घरवालों की तरफ से जब कोई संपर्क नहीं हो पाया तो अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के जिंदा होने का वीडियो बनाकर उसके पिता के मोबाइल पर भेज दिया। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बच्चे के जिंदा होने की सूचना सिकंदरा पुलिस को भी दे दी।

बच्चे का वीडियो देखे के बाद घरवाले दोबारा अस्पताल पहुंचे। बच्चे के पिता रंजीत का कहना है कि शादी के 10 साल बाद उन्हें पहला बेटा हुआ था। जिसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल लेकर आए थे। जहां डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा था। वह यह देखकर घबरा गए की वेंटीलेटर पर बच्चे के इलाज का खर्च ज्यादा होगा और उनके पास देने के लिए पैसे नहीं थे।

जिसके बाद वह बच्चे को मरा हुआ समझकर वहां से वापस चले गए। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अस्पताल की तरफ से बनाए गए वीडियो को देखा। तब वह अस्पताल पहुंचे और अब अपने बच्चे को लेकर अब सैफई इलाज के लिए जा रहे हैं। इस मामले सबसे बड़ी बात ये रही है कि रंजीत के आर्थिक हालत को देखते हुए अस्पताल प्रशासन की तरफ से उससे कोई भी पैसा नहीं लिया गया है।

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