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नेहरु की इन बडी गलतियों के कारण हारा भारत 1962 का युद्ध, जानिए उन गलतियों के बारे में…

भारत और चीन के बीच 1962 में एक बडा युद्ध हुआ था। जो कई दिनों तक चला। और उस युद्ध में बहुत सारे भारतीय सैनिकों की जान गई। इस युद्ध में चीन ने भारत को बुरी तरह हरा दिया। क्योंकि भारत के सैनिकों की संख्या चीन के सैनिकों के सामने बहुत कम थी। फिर भी भारतीय सैनिकों ने डटकर मुकाबला किया था। उस समय भारत में कांग्रेस की सरकार थी और पंडित जवाहरलाल नेहरु भारत के प्रधानमंत्री थे। चीन अब भी हमें 1962 के युद्ध की याद दिला कर नीचा दिखाने की कोशिश करता है। भारत की हार के बहुत सारे कारण थे। लेकिन सबसे बडा कारण था जवाहरलाल नेहरु। उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु कुछ बड़ी गलतियां नहीं करता तो नतीजा कुछ और होता। आइए आपको बताते हैं नेहरु से क्या गलती हुई..

नेहरु ने अपने रिश्तेदार को बनाया था मिलिट्री सलाहकार :

भारत की हार का जो पहला कारण था उसको जानकर आप को हैरानी होगी। आप को बता दें की नेहरु ने अपने एक दूर के रिश्तेदार को मिलिट्री सलाहकार बनाया था। जिसका नाम जनरल बी.एम.कौल था। जिसे सेना और उसकी जरूरतों सहित युद्ध के बारे में कुछ भी पता नहीं था। नेहरु ने अपने रिश्तेदारों को सेना के जिम्मेदार पदों में के लिए चुन लिया। जिसका परिणाम हुआ भारत की हार। इस वजह से नेहरु को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा।

सेना को नहीं दी ज्यादा पॉवर :

भारत और चीन के बीच यह युद्ध लगभग 14000 फिट की ऊँचाई पर लड़ा गया था। जिस में लगभग 3968 सैनिकों ने अपने देश के लिए लड़ते हुए प्राण त्याग दिए। नेहरु पर यह भी आरोप है की नेहरू ने सेना को लडने के लिए ज्यादा पॉवर नही दीं। सेना को लड़ने के लिए उचित गोला बारुद भी नहीं मिल पाया। जिसकी वजह से भारतीय सेना चीन के सामने कमजोर पड़ गई। और इसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा। इस युद्ध की हार की वजह से भारत का कैलाश मानसरोवर नामक स्थान चीन ने अपने हिस्से में ले लिया। वर्तमान में अगर कोई कैलाश मानसरोवर के दर्शन करने जाता है तो उसे चीन से इजाजत लेनी पड़ती है जो कि हमारे लिए शर्म की बात है।

इजराइल के सामने रखी थी नेहरु ने यह शर्त :

1962 के युद्ध के समय इजराइल देश हमारी मदद करने के लिए बिल्कुल तैयार था। लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरु ने इजराइल के सामने ऐसी शर्त रख दी की उस का खामियाजा हमें अब तक भुगतना पड़ रहा है। दरअसल जब चीन ने भारत पर धोखे से हमला कर दिया था तो इजराइल, भारत की मदद करने के लिए आगे आया। लेकिन उस समय नेहरु ने एक शर्त रख दी, नेहरू ने कहा इजराइल से आने वाले हथियारों पर इजराइल की मार्किंग नहीं होनी चाहिए। और नेहरू चाहते थे कि इसराइल से आने वाले जहाजों पर इजराइल का झंडा नहीं होना चाहिए। लेकिन यह बातें इसराइल के पीएम को पसंद नहीं आई और उन्होंने भारत की मदद करने से मना कर दिया। अगर नेहरु यह शर्तें नहीं रखता तो भारत की जीत पक्की थी।

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