अध्यात्म

काले तिल के लड्डू ही क्यों खाएं जाते है मकर संक्रान्ति के दिन, आज जान लीजिये तिल दान का महत्व

जैसे ही नया साल लगता है सबसे पहला हिन्दू त्यौहार मकर संक्रान्ति का ही आता है. सूर्यदेव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रान्ति को मनाया जाता है. इस बार मकर संक्रान्ति का त्योहार 14 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा. मकर राशि शनिदेव की राशि है. शनिदेव को शास्त्रों में सूर्यदेव का पुत्र बताया गया है. इसलिए माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. शनि के घर जाते समय सूर्य इतने तेजवान हो जाते हैं कि शनिदेव का तेज भी उनके सामने आगे फीका पड़ने लगता है.

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आपको बता दें कि, इस दिन सूर्य देव की पूजा काले तिल से की जाती है. साथ ही काली दाल, चावल, घी, नमक, गुड़ और काले तिल दान किए जाते हैं. इस दिन काले तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर खाए जाते हैं और साथ ही दान भी किए जाते हैं. माना जाता है कि इससे सूर्यदेव और शनिदेव दोनों की ही कृपा प्राप्त होती रहती है. काले तिल और गुड़ के महत्व के बारे में हम आपको बताते है.

धार्मिक महत्व
काले​ तिल का संबन्ध शनिदेव से होता है. वहीं गुड़ का संबन्ध सूर्यदेव से माना गया है. चूंकि संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव शनि के घर मकर राशि में जाते हैं, ऐसे में काले तिल और गुड़ से बने लड्डू सूर्य और शनि के मधुर संबन्ध के बारे में बताते है. ज्योतिष में सूर्य और शनि दोनों ही ग्रहों को सशक्त माना गया है. ऐसे में जब काले तिल और गुड़ के लड्डुओं को खाया जाता है या दान किया जाता है तो दोनों ही देव खुश होते है. साथ ही उनकी कृपा सभी पर बरसने लगती है.

ऐसा है वैज्ञानिक महत्व जानें
मकर संक्रान्ति को उत्तर भारत का बड़ा त्योहार माना जाता है. ऐसे में इस समय वहां काफी ज्यादा ठण्ड पड़ती है. तमाम लोग इस समय ठंड के प्रभाव से ठिठुर रहे होते हैं. गुड़ और तिल दोनों की तासीर काफी गर्म होती है. ऐसे में ठण्ड के प्रभाव को कम करने के लिए गुड़ और तिल के लड्डू दान किए जाते हैं. साथ ही लोग खुद भी इनका सेवन करते हैं. इससे उनके शरीर को गर्माहट मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

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एक अलग कथा भी है प्रचलित
सूर्यदेव और शनिदेव की मकर संक्राति को लेकर एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है. इसके मुताबिक सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव को पसंद नहीं करते थे. इसी वजह से उन्होंने शनिदेव को उनकी माँ छाया से अलग कर दिया. माता से पुत्र को अलग कर देने की वजह से सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप मिला. ऐसे में सूर्यदेव के दूसरे बेटे यमराज ने कठोर तपस्या कर उन्हें इससे मुक्त करवाया. ठीक होने के बाद सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर ‘कुंभ’ जला दिया.

इससे शनि के घर का सबकुछ जलकर खाक हो गया था. बस काला तिल जस का तस रखा हुआ था. ऐसे में सूर्य के घर आने पर शनि ने उनका स्वागत उसी काले तिल से किया. इसके बाद सूर्य ने उन्हें दूसरा घर ‘मकर’ प्रदान किया. नए घर को देने के साथ ही सूर्य देव ने कहा कि, मकर संक्रान्ति के दिन जो भी काले तिल और गुड़ से सूर्य की पूजा करेगा, उसके सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाएंगे. इसी वजह से मकर संक्रान्ति पर काले तिल और गुड़ का खास महत्व माना गया है.

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