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रॉ (RAW) जासूसों के सामने है जेम्स बॉन्ड फेल, जानिये RAW के 5 खुफिया कारनामें!

आपने रॉ के बारे में तो सुना ही होगा। यह भारत की खुफिया सेवा है। ये बेहद ही विषम परिस्थितिओं में काम करते हैं और परोक्ष रूप से भारत को खतरों से बचाते रहते हैं।

परन्तु असल जिन्दगी के “जेम्स बांड” के कारनामे और ऑपरेशंस जनसामान्य तक नहीं पहुँच पाते ।

बॉन्ड!… मैं हूँ जेम्स बॉन्ड! जब बॉन्ड अपना परिचय इस रोबीले अन्दाज में कराता है, तो जी करता है, काश! हमारी भी ज़िंदगी इतनी ही रोबदार होती। हर कदम पर अंज़ान पहेलियों की गुत्थियां, आश्चर्य से भरा सफ़र, रफ्तार, जोखिम और हर जोखिम से लड़ कर पहेलियों को सुलझा लेने का ज़ज़्बा।
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खैर ये बात तो हो गई बचपन के सपने की और हमारे सपनों को हवा देने वाले फ़िल्मों की। पर आज मैं जिसकी बात करने जा रहा हूं, यह वे कारनामें हैं, जिनको भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) ने मुश्किल परिस्थितियों में भी कर दिखाया और दुनिया का एक विश्वनीय खुफिया एजेंसी बन गया। आइए एक नज़र डालते हैं, रॉ के बेहद खुफिया कारनामों पर ।

 

बांग्लादेश का जन्म

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1970 के दशक के शुरुआती वर्षों में जब बांग्लादेश की नींव डालने की कोशिश जारी थी, उस समय RAW ने सूचनाओं के आदान-प्रदान में बेहतरीन भूमिका निभाई। मुक्ति वाहिनी की रॉ ने भरपूर मदद की, जिसके परिणाम स्वरूप पूर्वी पाकिस्तान को नया नाम ‘बांग्लादेश’ मिला, हालांकि पहले राष्ट्र अध्यक्ष मुजीबुर रहमान ने रॉ के इनपुट की अवहेलना की जिसके कारण वे इस्लामी कट्टरपंथियों का शिकार बन गए।

जानिये स्नैच ऑपरेशन के बारे मैं

स्नैच ऑपरेशन

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रॉ के इस ऑपरेशन के बारे में दुनिया को पता भी नहीं चलता, अगर खोजी पत्रिका ‘दी वीक’ ने इसके बारे में प्रकाशित नहीं किया होता। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के दो शीर्ष खुफिया संस्थान रॉ और आईबी ने नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में चार सौ से अधिक ठिकानों पर दबिश देकर लश्कर के कई आतंकवादियों का खात्मा किया था। रिक महमूद और शेख अब्दुल ख्वाजा जैसे ये आतंकवादी मुम्बई हमलों में शामिल बताए गए थे।

जानिये ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा के बारे मैं

स्माइलिंग बुद्धा

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1974 में रॉ ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण की गोपनीयता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह वास्तव में बेहद खुफिया और गुप्त मिशन था। यहां तक चीन और अमेरिका जैसे देशों की खुफिया एजेंसियों को भी भारत में चल रहे इस परीक्षण के बारे में पचा नहीं चल सका था।

जानिये ऑपरेशन सिक्किम के बारे मैं

ऑपरेशन सिक्किम

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भारत की आजादी के बाद भी सिक्किम इससे अलग था। 1972 में इंदिरा गांधी ने रॉ को इस बात की जिम्मेदारी दी कि सिक्किम अधिकृत रूप से भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा बन जाए। यह रॉ का ही प्रयास था कि इसके ठीक तीन साल बाद 26 अप्रैल 1975 को सिक्किम भारतीय संघ का 22वां राज्य बन गया।

जानिये ऑपरेशन चाणक्य के बारे मैं

ऑपरेशन चाणक्य

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ऑपरेशन चाणक्य रॉ द्वारा कश्मीर में किया गया बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन था। यह ऑपरेशन विभिन्न आईएसआई समर्थित कश्मीरी अलगाववादी समूहों के घुसपैठ पर पकड़ बनाने और कश्मीर घाटी में शांति बहाल करने के लिए किया गया था।

रॉ ने ही घुसपैठ की खुफिया जानकारी एकत्र की थी। इसके अलावा रॉ ने यह भी साबित किया था की आईएसआई द्वारा कश्मीरी अलगाववादी समूहों को प्रशिक्षण और धन मुहैया कराया जा रहा है। रॉ आईएसआई और अलगाववादी समूहों के बीच संबंधों को उजागर करने में ही नहीं, बल्कि कश्मीर घाटी में हो रहे घुसपैठ और आतंकवाद को निष्क्रिय करने में भी सफल रहा था।

रॉ को कश्मीर घाटी में पनप रहे हिज्ब -उल-मुजाहिदीन में दरार पैदा करने के लिए भी श्रेय दिया जाता है।

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