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CDS बिपिन रावत से प्रभावित होकर युवक ने छोड़ी पांच सितारा होटल की जॉब। अब बना सैन्य ऑफिसर…

बिपिन रावत से प्रभावित होकर गौरव जोशी बनें सैन्य अधिकारी। बोलें जिंदगी का मक़सद मिल गया

देहरादून (यूके)! बीते दिनों देश के पहले सीडीएस के दुःखद निधन के बाद पूरा देश शोकाकुल है। जी हां सीडीएस बिपिन की क्षमता और उनकी दूरदर्शी सोच से सभी वाकिफ़ थे, लेकिन उनका असमय निधन हो गया। जिसके बाद से ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। बता दें कि यह तो लगभग हर देशभक्त को मालूम है कि बिपिन रावत का जुड़ाव उत्तराखंड से था। वहीं अब उसी उत्तराखंड से एक सुखद ख़बर निकलकर आई है।

Gaurav Joshi

जी हां उत्तराखंड के युवाओं में देश सेवा का जज्बा बचपन से ही उनके रगो में दौड़ता है और यह बात सीडीएस बिपिन रावत को देखकर अपने आप चरितार्थ हो जाती है। वहीं गौरतलब हो कि बीते शनिवार को आईएमए देहरादून से 319 जेंटलमैन कैडेट पासआउट हुए जिनमें से 44 कैडेट देवभूमि उत्तराखंड से है। जी हां बता दें कि इस कार्यक्रम में जनरल बिपिन रावत को भी शामिल होना था लेकिन उनके आकस्मिक निधन के बाद सिर्फ राष्ट्रपति को ही इसमें शिरकत करनी पड़ी।

वहीं अगर बात सीडीएस बिपिन रावत की करें तो उन्होंने युवाओं को सेना के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपना पूर्ण योगदान दिया और आज के समय मे देश का हर युवा भी उनकी कार्यकुशलता का कायल है। इतना ही नहीं इस बात का एक नमूना भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में भी देखने को मिला।

गौरतलब हो कि यहां नैनीताल के गौरव जोशी अंतिम पग भर भारतीय सेना की मुख्यधारा में बतौर सैन्य अफसर शामिल हो गए। मालूम हो कि वह सीडीएस बिपिन रावत की शख्सियत से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने पांच सितारा होटल में नौकरी करने के बाद भी विदेश जाने का आफर ठुकरा कर सेना को चुना।

बता दें कि शनिवार को आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड से पास आउट होकर नैनीताल जिले के रामनगर निवासी गौरव जोशी सेना में लेफ्टिनेंट बन गए और गौरव के पिता भी सेना में अफसर रहे हैं। लेकिन गौरव का होटल मैनेजमेंट में अपना भविष्य बनाने का सपना था और गौरव की प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ के आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए गौरव बेंगलुरु चले गए। वहीं से गौरव होटल लाइन में ही रहकर विदेश भ्रमण करना चाहते थे।

लेकिन अचानक से गौरव का यह सपना बदल गया और इसके मुख्य कारण थे सीडीएस विपिन रावत। जिनसे प्रेरित होकर गौरव ने सेना में जाने का मन बना लिया। इसके बाद उन्होंने सीडीएस की परीक्षा दी और परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद गौरव भारतीय सैन्य अकादमी में चुने गए। बता दें कि उनकी मेहनत और लगन से प्रशिक्षक भी प्रभावित हुए। वहीं गौरव जोशी की मां गीता देवी और बहन रितु जोशी शर्मा को भी आज गौरव पर गर्व है।

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वहीं अपनी सफलता पर बात करते हुए गौरव ने कहा कि थल सेना प्रमुख रहते हुए जनरल बिपिन रावत को देखकर वे उनके कायल हो गए थे। फिर क्या था कुछ समय होटल इंडस्ट्री में नौकरी कर उन्होंने विदेश जाने का आफर भी अस्वीकार कर दिया और अब सैन्य अफसर बनकर गौरव कहते हैं कि आखिरकार उन्हें जिंदगी का मकसद मिल गया।

आईएमए का क्या है इतिहास…

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बता दें कि एक अक्टूबर 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) अब तक भारत सहित भारत के मित्र देशों को 63 हजार 381 युवा अफसर दे चुकी है। इनमें 34 मित्र देशों के 2656 कैडेट्स भी शामिल हैं। वहीं 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे। इसी में फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे।

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