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परमबीर को गिरफ्तारी से मिली सुरक्षा, मुंबई क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए पूर्व पुलिस आयुक्त

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सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें अपने खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच में शामिल होने के लिए कहा।

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह – जो महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कम से कम चार मामलों का सामना कर रहे हैं और अक्टूबर से लापता थे, जिस कारण उनके देश से भाग जाने की अफवाहें उड़ीं – गुरुवार सुबह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा इकाई 11 के कार्यालय में पेश हुए। जांच में शामिल होने का फैसला परमबीर सिंह ने गिरफ्तारी से सुरक्षा मिलने के बाद किया ।

आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ जबरन वसूली के आरोपों की जांच में शामिल होने के लिए कहा था। चंडीगढ़ से मुंबई पहुंचे परमबीर ने हवाईअड्डे पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “मैं अदालत के निर्देशानुसार जांच में शामिल होउंगा।”

परमबीर सिंह ने वकील ने कोर्ट में बताया कि परमबीर कहीं भागना नहीं चाहते, वे कहीं भागना नहीं चाहते लेकिन उनके जीवन को खतरा है। उनके वकील ने यह भी बताया कि परमबीर भारत में ही थे। परमबीर ने बताया कि “मुझे डर है , मुझे लगता है कि बिना सुरक्षा के मुझे ऐसे नहीं पेश किया जाना चाहिए। मुझे सिस्टम पर पूरा भरोसा है। मैं सीबीआई अदालत के सामने पेश होने के लिए तैयार हूं (लेकिन) मुझे बेवजह परेशान किया जा रहा है। मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है।

पूर्व पुलिस कमिश्नर के बयान पर कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि, “अगर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त कहते हैं कि उन्हें मुंबई पुलिस से खतरा है, तो इससे किस तरह का संदेश जाएगा?” कोर्ट ने पूरी सुनवाई के बाद अपने अंतिम फैसला पर पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने अंततः  यह फैसला सुनाया- अधिकारी को जांच में शामिल होना होगा, लेकिन अभी उन्हे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

पिछले हफ्ते यही अदालत ने परमबीर सिंह को ऐसी कोई भी सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था, और उनसे सख्ती से पहले खुद को सामने आने के लिए कहा। अदालत ने कहा था, “आप कहां हैं? आप इस देश में हैं या बाहर? किसी राज्य में? आप कहां हैं? जब तक हम यह नहीं जानते कि आप कहां हैं तब तक कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी।”

17 नवंबर को, मुंबई की एक अदालत ने कहा था कि परमबीर को “भगोड़ा” घोषित किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि उन्हें कानून से भगोड़ा माना जा सकता है। इसके संदर्भ में इस सप्ताह की शुरुआत में मुंबई के जुहू इलाके में उनके घर के बाहर एक नोटिस भी चस्पा किया गया था।, जिसके बाद दबाव में आकर परमबीर को सामने आना पड़ा और जांच में शामिल होना पड़ा।

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