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मोदी के ऐलान का दिखा असर, गाजीपुर बॉर्डर पर घटने लगी संख्या किसानों की संख्या, नेता अभी भी डटे

कृषि कानून: नेता कर रहे प्रदर्शन की बात, लेकिन किसान भारी संख्या में कर रहे घर वापसी

पीएम नरेंद्र मोदी ने जब से तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कही है, तभी से राजनीति गलियारों में हलचल काफी तेज है। कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसान नेता दिल्ली की सीमाओं प्रदर्शन जारी रखने की बात कर रहे हैं। हालांकि दिलचस्प बात ये है कि मोदी के कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद आंदोलनकारियों की संख्या लगातार घट रही है।

आंदोलन में किसानों की दिलचस्पी घटी

farmer protest

बीते दिनों राकेश टिकैत ने कहा था कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून सहित हमारी 6 मांगे पूरी नहीं हो जाति तब तक किसान आंदोलन के लिए डटे रहेंगे। हालांकि उनकी इस बात का किसानों पर अब कोई खास असर नहीं दिख रहा है। गाजीपुर में किसानों के टेंट जरूर लगे हैं, लेकिन वहाँ सन्नाटा छाया हुआ है।

लोग बड़ी संख्या में टेंट खाली कर वापस जा चुके हैं। हालांकि किसान नेताओं का पीछे हटने का अभी कोई मूड नहीं है। उनका कहना है कि एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही घर वापस जाएंगे।

फसल खरीदी के दाम बड़े

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भारतीय किसान यूनियन के मेरठ मंडल के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि किसान अभी भी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हैं। फसलों के उचित दाम के लिए हम 70 सालों से लड़ते आ रहे हैं। यह एक विशाल मुद्दा है, लेकिन मोदीजी ने इस पर कोई चर्चा नहीं की। किसानों की फसलों पर डाका डाला जा रहा है। हम बीते एक साल से यहां बैठे हैं, लेकिन किसानों से धान की फसल अभी भी 1,000 या 1,200 रुपये क्विंटल खरीदी जा रही है।

एमएसपी पर भी कानून बनाए मोदी

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पवन खटाना ने आगे कहा कि अब क्या एमएसपी के लिए हमें फिर से आंदोलन करना पड़ेगा? मोदी सरकार को एक कदम और आगे बढ़ाना चाहिए और एमएसपी कानून को लेकर भी ऐलान कर देना चाहिए। यदि पीएम मोदी ऐसा करते हैं तो हम उन्हें शुक्रिया कहकर घर वापस चले जाएंगे।

किसानों ने मोदी को लिखा ओपन लेटर

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बताते चलें कि सोमवार को लखनऊ में किसानों की महापंचायत है। इस दौरान 26 नवंबर को देश में प्रदर्शन की घोषणा की जाएगी। दूसरी तरफ किसानों ने पीएम नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखकर एमएसपी कानून समेत 6 मांगें की हैं। उनका कहना है कि जब तक ये मांगे पूर्ण नहीं होती है तब तक आंदोलन जारी रखा जाएगा।

वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? आप मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने से कितने खुश हैं? क्या किसानों को अभी भी आंदोलन करना चाहिए या पीछे हट जाना चाहिए? अपने जवाब कमेंट में जरूर बताएं।

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