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ढाबे वाले बाबा के बाद वायरल हुए ‘अंडे वाले अंकल’। जानिए इनकी स्ट्रगल स्टोरी…

मुसीबतों से लड़कर आगे बढ़ रहे हैं 'अंडे वाले अंकल', इनकी कहानी सुन आपके आंखों से निकल आएंगे आंसू...

कहते हैं कि ईश्वर के घर देर हो सकती है लेकिन अंधेर नहीं, इसलिए व्यक्ति को लगातार मेहनत करते रहना चाहिए औऱ अगर कोई व्यक्ति सही दिशा में पूरे तन-मन के साथ काम करता है तो उसे सफ़लता अवश्य मिलती है। जी हां अक्सर आपने सुना होगा कि कोई इंसान अपनी मेहनत और लगन के बल पर सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच गया। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुना है।

जो पहले ऊंचाइयों को छुआ हो, फ़िर नीचे गिरा हो और उसके बाद पुनः उठ गया हो? चलिए अगर आपने ऐसी कहानी नहीं सुनी है तो आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहें हैं। जिसे पढ़ने के बाद आपके आँखों से भी आंसू निकल आएंगे…

जानिए किसकी है यह कहानी, जिन्हें कहते हैं ‘अंडे वाले अंकल’…

बता दें कि इस शख्स का नाम है गगन कुमार अरोड़ा और जिन्हें दिल्ली के विकासपुरी के ब्लॉक सी इलाके में लोग ‘अंडे वाले अंकल’ के नाम से जानते हैं। फेसबुबक पेज हम ‘Hmm’ पर शेयर किए गए वीडियो में गगन कुमार अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में केबल का काम शुरू किया था, लेकिन बाद में वो काम बंद हो गया।

Ande Wale Uncle

इसके बाद उन्होंने करीब डेढ़ साल तक दिल्ली में ही ई-रिक्शा चलाया और अब इसी ई-रिक्शा पर वो अपनी अंडे की रेहड़ी लगाते हैं, जहां वो कई तरह के ऑमलेट बनाकर बेचते हैं। इस दौरान गगन के बड़े भाई का निधन हो गया और उनकी दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उनके ही कंधों पर आ गई।

सात साल की उम्र में पिता का हुआ निधन…

Ande Wale Uncle

वहीं गगन अरोड़ा ने बताया कि, “मेरे पापा और बड़े भाई शुरू से ही होटल लाइन में थे। किसी समय तिहाड़ में खाना बनाने का ठेका मेरे पापा के पास था। हमारे परिवार में सभी लोगों के शरीर फैटी थे, जिसकी वजह से हमें बीपी और हार्ट जैसी बीमारियां जल्दी लगती थीं। मैं जब सात साल का था, तब मेरे पापा का निधन हो गया। पढ़ाई-लिखाई ज्यादा हो नहीं पाई और मैंने टू-व्हीलर का काम सीखना शुरू किया। शाम को 5 बजे तक टू-व्हीलर का काम करता था और उसके बाद भाई के साथ होटल पर हाथ बंटाता था।”

इसके अलावा अपनी कहानी में गगन अरोड़ा ने आगे बताया कि, “परिवार में दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है और मेरे एक जीजाजी केबल का काम करते थे। मैंने भी केबल का काम शुरू किया और करीब 16 साल तक बिजनेस बढ़िया चला।

Ande Wale Uncle

इसके बाद किस्मत ने पलटी मारी और सेट टॉप बॉक्स आए… कनेक्शन कम होने की वजह से मेरा काम बंद हो गया और मैं फिर से सड़क पर आ गया। उसी दौरान मेरे बड़े भाई का भी निधन हो गया और उनकी दोनों बेटियों की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। कभी-कभी ऐसा भी होता था कि मेरे पास खाना खाने के पैसे नहीं होते थे।”

कर्ज की वज़ह से बेचा घर…

Ande Wale Uncle

इतना ही नहीं अपने बुरे दिनों को याद करते हुए गगन अरोड़ा ने बताया कि, “मेरे भाई बीमार रहते थे और एक दिन मुझसे बोले कि अगर मुझे कुछ हो गया तो क्या तू मेरे बच्चों को पाल लेगा। मेरी आखें भर आईं। उनकी दो बेटियों में से मैं एक की शादी कर चुका हूं और दूसरी की पढ़ाई-लिखाई भी अच्छी कराई है। खैर मैं अपनी कहानी पर वापस आता हूं, जब मेरा केबल का काम बंद हो गया तो मेरे एक दोस्त ने मुझे जुआ खेलना सिखाया। मैं 5 रुपए से जुआ खेला और 450 रुपए जीत गया।


इसके बाद मुझे जुए की ऐसी लत लगी कि मेरे ऊपर लाखों रुपए का कर्जा हो गया और मैंने अपना 50 लाख का मकान 30 लाख रुपए में बेच दिया। जिसके बाद मैं अपने परिवार के साथ सड़क पर आ गया।” वहीं गगन अरोड़ा ने आगे बताया कि, “मेरे बच्चों के सिर से छत चली गई और तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने क्या कर दिया। इसके बाद मैंने ई-रिक्शा लिया और करीब डेढ़ साल तक इसे चलाया। फिर ये अंडे की रेहड़ी शुरू की।

अब मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, अपने बच्चों के लिए कर रहा हूँ, क्योंकि मैंने अपने लिए जो करना था, वो कर लिया। मुझे दुख है कि मैंने खुद अपने बच्चों के सिर से उनकी छत छीन ली। मुझे भरोसा नहीं कि मैं कब तक जिऊंगा, लेकिन बस इतना चाहता हूं कि जब तक जिऊं, अपने बच्चों के लिए कुछ करके जाऊं। उनके सिर पर छत देकर जाऊं।”

 

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