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समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट – जब एक आतंकी को बचाने के लिए कांग्रेस ने गढ़ी भगवा आतंक की कहानी!

नई दिल्ली – टाइम्स नाउ ने समझौता एक्सप्रेस विस्फोटों पर कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिससे राजनीतिक बवाल मच गया है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि यूपीए सरकार ने समझौता एक्सप्रेस में लश्कर के आतंकियों को बचाने के लिए “भगवा आतंकवाद” की कहानी गढ़ी थी। Samjhauta express blast bhagwa terror.

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट और UPA की भूमिका :

22 जून बुधवार को प्रसारित चैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी संदिग्धों, जिन्होंने कथित तौर पर ट्रेन में बम रखा था, उन्हें उचित जांच के बिना छोड़ दिया गया। इस बात का खुलासा करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि समझौता विस्फोट में एक नया आयाम जोड़ा जा रहा है।”  रविशंकर प्रसाद ने संकेत दिया कि इस मामले में “हिंदू आतंकवाद” को जोड़ा गया और असली आतंकवादियों को छोड दिया गया।

“किसके आदेश पर इन पाकिस्तानी संदिग्धों को जाने दिया गया था?” समझौता एक्सप्रेस धमाके के संदिग्ध आरोपी जो कि पाकिस्तानी नागरिक थे, उन्हें एक साजिश के तहत छोड़ दिया गया और निर्दोष हिन्दुओं पर इल्जाम लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया। यही नहीं 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में विस्फोट में भी भगवा आतंक का झूठा जाल बिछाया गया, जिसका पर्दाफाश अब हो रहा है।

क्या था समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट :

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के मुख्य गवाह यशपाल भड़ाना ने जज के सामने ये बात कबूली थी कि स्वामी असीमानंद और अन्य दूसरे लोगों को फंसाने के लिए उसने एनआईए के दबाव में आकर बयान दिया था। इस बात का खुलासा भड़ाना के नए हलफनामे से हुआ है। चैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपीए सरकार ने 2007 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के दस्तावेज जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के जुड़े होने का सबूत था, पाकिस्तान को सौंप दिया।

साल 2010 तक इस ब्लास्ट में पाकिस्तान का हाथ होने के सबूतों को नष्ट कर दिया गया। गौरतलब है कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के ठीक दो दिन बाद 21 फरवरी 2007 को एक संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार किया गया। जो पुलिस द्वारा जारी किए गए स्केच से मेल खाता था। लेकिन, 20 मार्च 2007 को जीआरपी ने अजमत की रिहाई याचिका फाइल की और उसके खिलाफ जांच वाली फाइल को बंद कर दिया।

 

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