
इंदिरा गांधी की मौत के बाद ऐसा क्या हुआ जो मारे गए 3 हजार सिख? जानिए पूरा घटनाक्रम
इंदिरा गांधी को लगी 30 गोलियां और अगले दिन शुरू हो गई सिखों की हत्या, मारे गए 3 हजार सिख
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की उनके ही दो सिख गार्डों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद सिख विरोधी दंगा शुरू हो गया। 1984 का यह दंगा आज तक भारत के एक काले अध्याय के रूप में देखा जाता है। इसे लेकर कांग्रेस अक्सर बैकफुट पर आ जाती है। तो इंदिरा की हत्या के बाद ऐसा क्या हुआ था जिसके चलते लगभग तीन हजार सिख मारे गए? आज हम आपको यह पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताने जा रहे हैं।
इंदिरा गांधी पर चली 30 गोलियां
31 अक्टूब, 1984 की सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर इंदिरा गांधी के दो सिख सुरक्षा गार्डों ने उन्हें उनके ही आवास स्थल पर गोलियों से भून दिया था। उन्होंने इंदिरा के शरीर पर 30 गोलियां चलाई थी। आनन-फानन में खून से लथपथ इंदिरा को एम्स (AIIMS) ले जाया गया। यहां डॉक्टरों की एक टीम ने उन्हें बचाने की जीतोड़ कोशिश की, लेकिन इंदिरा ने इलाज के दौरान 10 बजकर 50 मिनट पर दम तोड़ दिया।
‘खून का बदला खून’ के नारे लगे
31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी की हत्या (Indira Gandhi Assassination) के बाद से ही सिख विरोधी दंगों का माहौल बनने लगा था। एम्स को एक बड़ी भीड़ ने चारों तरफ से घेर लिया था। वहां ‘खून का बदला खून’ के नारे लगाए जा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया कि कांग्रेस सांसद रहे सज्जन कुमार और ट्रेड यूनियन नेता ललित माकन ने हमलावरों को 100 रुपए के नोट और शराब की बोतलें रिश्वत के रूप में दी थी।
इंदिरा की मौत की खबर सुनते ही भड़के लोग
ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) ने सुबह 1 बजे इंदिरा गांधी की मौत की खबर सुनाई। उन्होंने ये भी बताया कि दो सिख गार्डों ने उनकी हत्या की है। इस खबर को सुनते ही लोगों का गुस्सा धीरे-धीरे बढ़ने लगा। फिर शाम लगभग 4 बजे राजीव गांधी पश्चिम बंगाल से एम्स आए। उधर शाम 5 बजकर 30 मिनट पर विदेश यात्रा से लौटे राष्ट्रपति जैल सिंह के काफिले पर एम्स पहुंचते ही पथराव हुआ।
1 नवंबर को मारा गया पहला सिख
लोगों में सिखों के खिलाफ नफरत और गुस्सा फुट पड़ा। फिर 1 नवंबर, 1984 को पूर्वी दिल्ली में पहला सिख मारा गया। इसने सिख विरोधी दंगे को भड़काने का काम किया। सुबह होते-होते दिल्ली की सड़कों पर गुस्साए लोगों की भीड़ जमा हो गई। उन्होंने गुरुद्वारों को टारगेट किया। इस दौरान मंगोलपुरी, शाहदरा, त्रिलोकपुरी, गीता, सुल्तानपुरी और पालम कॉलोनी जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
दंगे में मरे हजारों लोग
2 नवंबर, 1984 को देश की राजधानी दिल्ली में कर्फ्यू का ऐलान किया गया, हालांकि इसे लागू नहीं किया गया। पूरे शहर में सेना तैनात की गई। एक सरकारी अनुमान के मुताबिक दिल्ली के सिख विरोधी दंगे में करीब 2800 सिख मारे गए। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दंगे के चलते पूरे देश में 8 से 17 हजार लोग मरे थे।
2018 में हुई कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी
1984 के सिख विरोधी दंगों के केस में दिसंबर 2018 में पहली हाई प्रोफाइल सजा कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को हुई। उन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया गया जहाँ उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।